कवितापद्य साहित्य

नेपाल में भूकम्प

प्रकृति की यह ध्वंस लीला ,और चलेगी  कब तक  ?
चली  आ रही  है यह लीला ,आदि काल से आज तक l

ध्वंस किया सृजन को ,खुद का  हो या मानव कृत
कुदरत के रूद्र कोप से,दहसत में है इंसानियत l

क्या खुदा है नाराज़ ?या है प्रकृति की कोप-दृष्टि?
समय समय पर दिया झटका,स्थिर नहीं है सृष्टि l

चुपचाप सहती रहती ,धरती हर जुर्म हर शोषण
अपनी संतान मान कर,करती सबका पालन पोषण l

सहने की एक सीमा है ,सीमा पार होता है विस्फोट
टिकाकर पीठ दिवाल पर ,धरती ने लिया है करवट l

शिशु हो या बालक ,किशोर हो या जवान ,थे सबके सपने
एक झटके में ध्वस्त हुए सब ,मिट गए छोटे बड़े के सपने l

कुदरती आपदाओं पर डाल कर देखो एक नज़र
बाड ,सुखा,सुनामी,भूकंप, हैं सब कुदरती कहर l

कुदरत की इशारा क्या है ?इंसान को पड़ेगा समझना
गर नहीं समझे कुदरत को,पड़ेगा उसकी मार खाना l

केदार नाथ का प्रलय, फिर काश्मीर का जल प्रलय
सोचो क्यों नेपाल का जलजला ?खतरे में है हिमालय ?

रचना : कालीपद “प्रसाद”

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !

One thought on “नेपाल में भूकम्प

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

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