कविता

कविता : वादा

मुझसे वादा करो
मुझे रुलावोगे नहीँ
हालात जो भी हो
मुझे भुलाओगे नहीं
छुपा के अपनी आँखों में रखोगे
मुझ को दुनिया में
किसी और को दिखाओगे नहीं
मेरे लफ़्ज मेरे दिल की तहरीरें हैं,
कसम उठाओ इनको कभी जलाओगे नहीं
मुझे ये यकीन दिलाओ
मुझे याद रखोगे
मेरी यादों को
अपने दिल से मिटाओगे नहीं..।

धर्म पाण्डेय 

One thought on “कविता : वादा

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह !

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