कविता

खत रो पड़ा..!

ख़त रो पड़ा…
माँ को देकर संदेशा
सिपाही की शहादत का..!
शब्द बिखरने लगे
सिसकियों में,
पंक्तियाँ बहने लगी
आँसुओं में,
सीने से लगाकर रो पड़ी माँ भी…
और ख़त रो पड़ा…
शब्दों को समेटकर
पंक्तियों में लपेटकर
माँ ने सहेजकर ख़त को
रख दिया पेटी में,
पास ही
बेटे की तस्वीर के,
अंतिम निशानी समझकर…
कभी-कभी निकाल लेती है
पेटी से,
झड़काकर पढ़ लेती है
बेटे को,
ख़त को मना करती है
रोने से,
और खुद रो पड़ती है…!

सूर्यनारायण प्रजापति

जन्म- २ अगस्त, १९९३ पता- तिलक नगर, नावां शहर, जिला- नागौर(राजस्थान) शिक्षा- बी.ए., बीएसटीसी. स्वर्गीय पिता की लेखन कला से प्रेरित होकर स्वयं की भी लेखन में रुचि जागृत हुई. कविताएं, लघुकथाएं व संकलन में रुचि बाल्यकाल से ही है. पुस्तक भी विचारणीय है,परंतु उचित मार्गदर्शन का अभाव है..! रामधारी सिंह 'दिनकर' की 'रश्मिरथी' नामक अमूल्य कृति से अति प्रभावित है..!

6 thoughts on “खत रो पड़ा..!

    • सूर्यनारायण प्रजापति

      धन्यवाद #दुबेजी

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब !

    • सूर्यनारायण प्रजापति

      धन्यवाद भाईसाहब

  • प्रदीप कुमार तिवारी

    bahut hi sunder

    • सूर्यनारायण प्रजापति

      धन्यवाद @प्रदीप जी

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