कविता

आशा

आपसे मिले तो आशा हुई |

बिछड़े तो फिर निराशा हुई |

लेकिन हाँ , एक बात तो हुई |

पहले वाली ख़ुशी फिर से मिल गयी |

भले एक दो पल के लिए ही |

आपसे मिल कर ख़ुशी तो हुई |

आप भी उस दिन के इंतजार में थी |

कब हो मुलाकात तुमसे , बेचैन थी |

फिर तो वही हुआ जो होना था |

और क्या ,फिर से हम दोनों को मिलना था |

शुक्रगुजार करू मैं ईश्वर की |

हमे मिला दिए जिनसे मिलना था |

निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४

3 thoughts on “आशा

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छी कविता है.

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर !

    • निवेदिता चतुर्वेदी

      dhanybad

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