बाल कविता

पद्य कथा – फौजी चाचा की सीख

एक सुबह फौजी चाचा , गए घूमने बागीचा ,
सुना वहाँ पर ये चर्चा , पड़ा रो रहा एक बच्चा |
कदम बढ़ा कर जा पहुंचे , बच्चे को चूमा पोंछा ,
लेकिन फिर सन्देह हुआ , बच्चे को किसने फेंका |
असली जैसा गुड्डा था , जरा ध्यान से जब देखा
टेप मे थी आवाज भरी , समझ गए ये है धोखा |
टिकटिक की आहट सुनकर, दूर उठा कर झट फेंका,
हुआ धमाका जोरों का , उसमें था एक बम फूटा |
वो आतंकी साजिश थी , घटना की तैयारी से ,
लेकिन सबकी जान बची , फौजी की होशियारी से |
लावारिस कोई चीज़ मिले , बच्चों उसको मत लेना ,
लालच मे तुम मत पड़ना , खबर पुलिस को कर देना |
जिसने भी यह काम किया , वह आतंकी था टुच्चा ,
सावधान हरदम रहना , तब सब कुछ होगा अच्छा | |

अरविन्द कुमार साहू

सह-संपादक, जय विजय

One thought on “पद्य कथा – फौजी चाचा की सीख

  • विजय कुमार सिंघल

    रोचक और शिक्षाप्रद बाल कविता !

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