सिलसिला
तुम्हारी लबों से आई आवाज़ों में मगरूर होता गया। जब – जब अदाओं को देखा तो सुरूर चढता गया। मुलाकातों
Read Moreरामधन बहुत गरीब लेकिन अच्छे स्वभाव का व्यक्ति था | उसने एक साधु की खूब सेवा की | साधु ने
Read Moreहमारे तत्कालीन सहायक महा प्रबंधक श्री राम आसरे सिंह बहुत ही सज्जन थे। सभी अधिकारियों की व्यक्तिगत समस्याओं पर भी
Read Moreजब तक हम तनहा थे लगता था दीवारो-दर हैं. जब से साथ तुम्हारा पाया हमको लगता हम घर हैं. ऐसी
Read Moreअपने हिंदुस्तान में, रहें सिर्फ चुपचाप। लोकतंत्र कैसा यहाँ, इससे अच्छी खाप। इससे अच्छी खाप, जुबां पर ताला डालें। अभी
Read Moreग़ज़ल (माँ का एक सा चेहरा) बदलते बक्त में मुझको दिखे बदले हुए चेहरे माँ का एक सा चेहरा ,
Read Moreओ३म् महर्षि दयानन्द न केवल वेदों एवं वैदिक साहित्य के विद्वान थे अपितु उन्हें पुराणों सहित सभी अवैदिक धार्मिक ग्रन्थों
Read Moreदेख पंछी परिंदों को मेरे मन जागी इच्छा मैं भी इनकी तरह उडूँ उन्मुक्त आकाश में लेकिन इनके तो पंख
Read Moreदूसरे साल भी वह जन्द्र हमने दस हजार रुपये ठेके पर ले लिया। पिछले साल से काफी महंगा था। फिर
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