क्षणिकाएँ
क्षणिकाएँ “मौन की भाषा” ‘मौन की भाषा आसान नहीं होती’ “प्रेम में मौन रहकर भी कुछ लोग सब कुछ कह
Read Moreनई पीढ़ी –पुराणी पीढ़ी पिता ने पुत्र से कहा , “बेटा अब तुम बड़े हो गए हो पढ़
Read Moreचलो एक खूबसूरत ग़ज़ल लिखते हैं | यूंही उलझे-सुलझे शामो सहर लिखते हैं | कहीं ज़िन्दगी की कोई असलियत लिखते
Read Moreओ३म् मनुष्य जीवन का उद्देश्य प्रभु का दर्शन कर सभी दुःखों से 31 नील 10 खरब 40 अरब वर्षों तक
Read Moreवो लगातार पाँच दिनों से शोभना के व्यवहार पर गौर कर रहा था। उससे हर पल बतियाने वाली, आते जाते
Read Moreघर में अब एक नई पार्टी बन गई थी और इनका बोल बाला था। नई पार्टी में राकेश, गुड्डा, केवल,
Read More[1] माँ के हाथों की रोटी बड़ी प्यारी लगती है, माँ की मुस्कुराहट भी फुलवारी लगती है/ उपवन का पत्ता-पत्ता
Read Moreएक पुरानी कहावत है “बार – बार गाय की पूँछ उठा कर देखने से गाय गोबर जल्दी नहीं करती” , इस
Read Moreविगत लोकसभा चुनावों में अति मुस्लिम प्रेम के कारण मात खा चुकी कांग्रेस सुधरने का नाम नहीं ले रही है।
Read Moreहस्तरेखाओं को कभी -कभी ना मानने को जी करता है | जो किस्मत मे ना हो कभी उसे पाने को
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