कवितापद्य साहित्य

अपूर्ण मकसद !

जिंदगी का मकसद क्या है ?

अनादि काल से

यह प्रश्न अनुत्तरित खड़ा है,

उतर किसी ने न जाना

न किसीने इसका उत्तर दिया l

क्या खाना ,सोना और

फिर मर जाना

यही  जीव की नियति है ?

पशु, पक्षी ,कीट, पतंग

नहीं है मस्तिष्क उनका उन्नत

उनमे नहीं उठते

जिज्ञासा का उच्च तरंग  l

किन्तु मनुष्य….

उन्नत मस्तिष्क का मालिक है

खाना-पीना,सोना ,मरना

उनके जीवन का उद्येश्य नहीं है ,

इसके आगे उनकी खोज करना है

जिसने उसे बनाया है l

इसे इबादत कहें

या ईश्वर आराधना

होगा नाम अनेक

उद्येश्य है उनका पता लगाना l

किन्तु सोचो , कौन हैं ईश्वर ?

क्या है रूप ,आकृति-प्रकृति

क्या है उनका ठिकाना ?

आजतक किसी ने न जाना l

कोई कैसे करे इबादत ?

पूजा विधि का भी, नहीं कोई अंत

किन्तु कोई भी विधि नहीं है अचूक

शास्त्र भी है इसमें मूक l

हर विधि का निष्फल परिणाम निकलना

इंगित करता है जैसे,

“आँख मुंद कर अँधेरे में पत्थर फेंकना “l

हर पत्थर निशाना चुक गया

ईश्वर भी अँधेरे से बाहर नहीं आया

जीवन का मकसद उनका दर्शन

सदा अपूर्ण रह गया l

©  कालिपद “प्रसाद”

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !

2 thoughts on “अपूर्ण मकसद !

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छी कविता है , सही तो है , आगे बढना ,कुछ करना , इस संसार को सुखी करने के लिए मिहनत करना ,यही तो तपस्य है , वर्ना आँखें मूँद कर अँधेरे में बैठने से कुछ नहीं होगा .

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