ताजी खबर : ताजी कुंडलिया
कहता पीपल आम से, चुपके-चुपके बात।
आज दिवस है कौन सा, जो है लगी जमात।
जो है लगी जमात, शुरू है भाषणबाजी।
झूम-झूमकर आम, बोलता देखा हाँ जी।
कह ‘पूतू’ कविराय, नीर सा पैसा बहता।
पर्यावरण दिवस मना, नहीं फिर कोई कहता॥
कहता पीपल आम से, चुपके-चुपके बात।
आज दिवस है कौन सा, जो है लगी जमात।
जो है लगी जमात, शुरू है भाषणबाजी।
झूम-झूमकर आम, बोलता देखा हाँ जी।
कह ‘पूतू’ कविराय, नीर सा पैसा बहता।
पर्यावरण दिवस मना, नहीं फिर कोई कहता॥
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अच्छी कुंडलिया