बाल कविता

नानाजी का ‘सॉरी’…!!

चुन्नु-मुन्नू बन ठन के पहली बार स्कूल चले, IMG_20150607_181547
नानाजी की सारी बातें रख बस्ते में भूल चले,
चुन्नु-मुन्नू ने कक्षा में जैसे ही पाँव ठोका,
एक मोटी आवाज ने उन दोनों को रोका,
दोनों सहमे, देखा तो मास्टरजी आ रहे,
हाथ में अपने एक मोटा डण्डा भी ला रहे,
मास्टरजी बोले बिन पूछे ही कहाँ चले आते हो,
स्कूल में पहले ही दिन क्यों इतनी देर लगाते हो,
चुन्नु और मुन्नू तो थर-थर करके थर्रा रहे,
दोनों ही को केवल तब नानाजी याद आ रहे,
नानाजी की सारी बातें बस्ते से निकल जाने लगी,
एक-एक करके चुन्नु-मुन्नू के सामने आने लगी,
नानाजी ने बोला था कि रोजाना जल्दी उठना,
तैयार होकर घर से रोज समय पर स्कूल निकलना,
जाते ही मां विद्या को शत-शत शीश नवाना,
फिर सारे गुरुजनों के जाकर धोक खाना,
कक्षा में जाने से पहले पूछ के अंदर जाना,
अपना सारा काम समय पर बिन गलती जँचवाना,
कोई गलती हो जाएँ तो झट ‘सॉरी’ कह देना,
फिर से ना करने की एक कसम भी खा लेना,
चुन्नु ने मुन्नू को एक चिकोटी काटी झट से,
मास्टरजी को दोनों ने ‘सॉरी’ बोला फट से,
फिर से ना करने भी सौगंध उन्होंने खाई,
नानाजी की ‘सॉरी’ उनको देर समझ में आई,
चुन्नु-मुन्नू बोले- ‘अंदर आएँ क्या मास्टरजी…?’
मास्टरजी मुस्कुराते बोले- ‘हाँजी..हाँजी…!!
नानाजी का ‘सॉरी’…!!

सूर्यनारायण प्रजापति

जन्म- २ अगस्त, १९९३ पता- तिलक नगर, नावां शहर, जिला- नागौर(राजस्थान) शिक्षा- बी.ए., बीएसटीसी. स्वर्गीय पिता की लेखन कला से प्रेरित होकर स्वयं की भी लेखन में रुचि जागृत हुई. कविताएं, लघुकथाएं व संकलन में रुचि बाल्यकाल से ही है. पुस्तक भी विचारणीय है,परंतु उचित मार्गदर्शन का अभाव है..! रामधारी सिंह 'दिनकर' की 'रश्मिरथी' नामक अमूल्य कृति से अति प्रभावित है..!

3 thoughts on “नानाजी का ‘सॉरी’…!!

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी बाल कविता.

    • सूर्यनारायण प्रजापति

      धन्यवाद बड़े भाई साहब

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