कवितापद्य साहित्य

बारिश की बूंद सूखने से पहले

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भाईयों ये बादल का नजारा
कितना सुखद होता अगर,
साथ इनके समां-ए-बारिश
मौन सब दिलों को सूकूं देता।

मै डरता हूँ धरती तेरे सूख जाने से
ऐ छुपे मेघ गगन पे छा जा तू,
बारिश की बूंद सूखने से पहले
जमकर धरा पे बरस जा तू

3 thoughts on “बारिश की बूंद सूखने से पहले

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत खूब .

    • मनोज 'मौन'

      धन्यवाद भमरा जी

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