गीत/नवगीत

नवगीत : हम बेरोजगार हैं

डिग्रियां नहीं जल रहीं हमारे ख्वाब जल रहे हैं
फ्यूचर जला है ऐसे हम रोज मर रहे हैं
सरकार वो कहाँ है जिसे हमने चुना था
अपने वोटों से जिसे हमने बुना था
कोई पूछता है जब कौन हो तुम तो हम कहते हैं
हम बेरोजगार हैं हम बेरोजगार है

लडका हो या लड़की हर युवा परेशां हैं
फ्यूचर की चिंता में अपनों से वो जुदा हैं
इनकी बात न भाती है अब किसी को
क्या बेरोजगारी कहते हैं इसी को
कोई पूछता है जब कौन हो तुम तो हम कहते हैं
हम बेरोजगार हैं हम बेरोजगार हैं

धरना दे-दे के बंद हुई साँसें हमारी
किसी ने न पूछा कैसी हालत है हमारी
इलेक्शन के समय तो हाथ आगे बढ़ाते हैं
तकलीफ है हमें तो हाथ पीछे क्यों किए हैं
कोई पूछता है जब कौन हो तुम तो हम कहते हैं
हम बेरोजगार हैं हम बेरोजगार हैं
हम बेरोजगार हैं हम बेरोजगार हैं

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