संस्मरण

समय

भतीजे के बारात में भतीजी को डान्स करते देख ; मैं सोच रही थी , समय कितना बदल गया या भैया कितने बदल गए ….. मेरी कोई सहेली ; हमारे घर मिलने आती थी तो मैं उसे जाते समय , दरवाजे तक छोड़ने नहीं जा पाती थी भैया की नजरें टेढ़ी हो जाती थी …. कुछ साल पहले तक उनका किसी लड़की औरत का बरात में जाना पसन्द नहीं था क्यों कि लड़की वालों ने अगर इंतजाम नहीं किया तो फजीहत हो जायेगी …. बरात में हुड़दंग होता ही है.

80-81 की बात है. हमारे घर में दूध देने वाले की बेटी की शादी थी। भाभी का मन था जब बरात लगेगा तो हम दूल्हे को देख आयेंगे ।पड़ोस की चाची उनकी बेटी कुमुद मैं भाभी दिनभर तैयारी में समय गुजारे। शाम में तैयार होने जा ही रहे थे कि भैया आ गए ; भैया अकेले नौकरी पर रक्सौल रहते थे , माँ की मृत्यु हो जाने से भाभी मेरे साथ पापा की नौकरी पर सीवान में रहती थीं

हमारी तैयारी दूल्हे को देखने की नष्ट होती नजर आई लेकिन मेरी भी जिद हो गई कि हम कोई गलत काम नहीं कर रहे हैं , हम दूल्हे को देखने जाएंगे ही जाएंगे ।

पड़ोस की चाची हमारे घर थर्मामीटर मांगने आईं कि कुमुद को फिवर हो गया है ;कुमुद को देखने के लिए मैं और भाभी चाची के घर गए.

बारात से दूल्हे को देख कर लौटते समय जैसे मुड़े भैया सामने खड़े थे और हमारी प्लानिंग पकड़ी गई कि कुमुद को झूठा बुखार था क्यों कि कुमुद हमारे साथ थी । हमें जो डांट पड़ी उसका बयान क्या करना.

लेकिन भैया को समय के साथ बदलते देख अच्छा लगा.

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ

4 thoughts on “समय

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    विभा बहन, हम यहाँ जो लोग आये थे ,हमारे दिमागों में अभी भी वोह संस्कार ही भरे हुए हैं जो हम ने इंडिया छोड़ते वक्त देखा था , लेकिन इंडिया इतना बदल गिया है कि हम पीछे छूट गए . यह शाएद १९७३ की बात है जब मैं इंडिया आया तो इंडिया रहते एक दोस्त के साले की शादी पर जाने का अवसर मिला . जो मैंने देखा वोह मेरे लिए बहुत हैरानी जनक था .बाजे वाले बरात को ले कर जा रहे थे और औरतें सुन्दर कपड़ों से सजी आगे आगे डांस कर रही थीं. ज़माना तो आगे ही बढता है लेकिन मैं सोचता हूँ पुराना ज़माना बिहतर था .

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      सुप्रभात आदरणीय भाई
      बहुत बहुत धन्यवाद आपका
      समय के साथ बदलाव होना स्वभाविक है
      अच्छा बुरा हमारे अपनाने पर हैँ

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा संस्मरण ! समाज इसी प्रकार बदलता है.

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      जी भाई
      सुप्रभात बहुत बहुत धन्यवाद आपका भाई

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