कविता

फिर होगा सागर मंथन…कविता

फिर होगा सागर मंथन, तुम बस इक मजबूत ढाल बन जाओ |
हर युग के रावण के संहार के लिए तुम एक मिसाल बन जाओ |
फिर होगा सागर मंथन तुम बस इक मजबूत ढाल बन जाओ |
छट जाएगा अब अँधेरा अब तो कण कण झल्ला उठा है,
देखकर मानवता के गिरते स्तर को फिर सच्चाई ने अवतार लिया है |
फिर होगा सागर मंथन, तुम बस इक मजबूत ढाल बन जाओ |
जाने कौन रूप मे रूबरू हमसे वो पल होगा ,
अवनति की ओर बड़ती धरती का कुछ भार तो कम होगा |
तुम भी इसमे भागीदार बन जन – जन मे नव चेतना जगाओ |
फिर होगा सागर मंथन, तुम बस इक मजबूत ढाल बन जाओ |||
कामनी गुप्ता ***

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |

2 thoughts on “फिर होगा सागर मंथन…कविता

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह !

    • कामनी गुप्ता

      Thanks sirji

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