कविता

आज ……

आज पुनः जन्म ले लिए ,

धृतराष्ट्र के सौ -सौ बिगड़ैल बेटे |

शहर , नगर , गाँव , गलियों ,

चप्पे -चप्पे फ़ैल गए है |

देश के कोने -कोने और

संसद भवन तक पैठ गए हैं |

कोई भी सरेआम तांडव करता ,

पर कोई कुछ नहीं बोलता |

आज कितने दुर्योधन ,

कितने शकुनि ,कितने जयद्रथ

वही ठहाके लगाते|

हजारो दुःशासन नित्य नए ,

द्रोपती का चीर हरण करते |

हजारो रावण नित्य ,

सीता का हरण करते |

आज कोई कृष्ण नहीं ,

नहीं कोई है राम |

फिर कैसे हो इस राक्षसो से बचाव |

निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४