कविता

औरत…

हाँ मिल गई है तुम्हें आज़ादी अब मर्ज़ी से जीने की |
अपने विचार बेझिझक सबके आगे रखने की |
मगर हकीकत है क्या नहीं अनजान इससे कोई भी |
माना आज़ादी का दुरपयोग भी हुआ कहीं – कहीं |
मगर क्या दिल से सम्मान दे पाया हर कोई यूंही |
वही तानो बानो के सिलसिले वही प्रताड़ना कभी – कभी |
हाँ मिल गई है आज़ादी………
कभी चुप रहती कभी हालात से समझोता करती |
औरत ही आखिर क्यों सबके क्रोध का प्रहार सहती |
जी चाहा जिसका कुछ भी कह दिया कभी भी |
चुप रहेगी तो मुशकिल कुछ कहेगी तो जाने क्या हासिल कर लेगी |
हाँ मिल गई है………..

कामनी गुप्ता 

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |

4 thoughts on “औरत…

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी कविता।

    • कामनी गुप्ता

      धन्यवाद सरजी

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत खूब .

    • कामनी गुप्ता

      Thanks sirji

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