“मत ठुकराओ सनम”
बोलो सजन मंजूर है क्या तनिक बताओ कसूर है क्या छाई रहूँ कि परछाई रहूँ तेरे नैनों में मेरा गुरुर
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Read Moreहास्य व्यंग नारद की छुट्टी ===================== बदल गया अब जीर्ण ज़माना , नारद जी भारत आये / देखा जन -जन
Read Moreसुलगा हुआ जग लग रहा, ना जल रहा ना बुझ रहा; चेतन अचेतन सिल-सिला, पैदा किया यह जल-जला । तारन
Read Moreछलका रहा होगा झलक, प्रति जीव के आत्मा फलक; वह मूल से दे कर पुलक, भरता हरेक प्राणी कुहक ।
Read Moreदुनिआ में सब कुछ भूल सकता है लेकिन एक ऐसी चीज़ है जो किसी को नहीं भूलती , वोह है “माँ”।
Read Moreमंडलीय कार्यालय में कम्प्यूटर शिक्षा उस समय तक हमारे बैंक के सभी मंडलों में लगभग सभी विभागों में पी.सी. लगा
Read Moreएक बार पार्टी थी घर में, लड्डू आए बड़े बड़े, खाते खाते दो लड्डू थाली मे से निकल पड़े, मां
Read Moreओ३म् संसार का प्रत्येक मनुष्य चाहता है कि वह स्वस्थ हो, बलवान हो, सुखी हो व सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं
Read Moreविवाह बंधन तोड़ दूँ क्या अकेला तुझे छोड़ दूँ क्या ? हर महीने रख पगार हाथ मायके ओर दौड़ दूँ
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