कविता

शनिवार के इंतज़ार में

अकेले रात भर एक अजनबी शहर में
मेरी याद तेरे सिरहाने बैठकर
तुझे जगाये रखती है……..
हर पल ,पल पल
करवट बदल कर
खामोश बंद निगाहों से

ताका करते हो अपने सिरहाने
कुछ
कहते भी नही बनता
चुप रहते भी नही बनता
दिल में
उठती है सो सो आहे
अब उस से कैसे कहे……..
बस सोचा करते हो …..
मेरी देह गंध.जब तारो ताज़ा सी
तुम्हे अपनी साँसोंमें
महसूस होती है
मेरी हर अदा एक चलचित्र सी
तेरी आँखों से गुजरती है
मन की गहराइयो तक सोचते तुम
तुम तब मुझे पा लेते
हो
अपने अन्दर तक
मुझ पे चाह
जाते हो
और बेसुध होकर सो जाते हो
अब तुम ही सोचो
तुम्हारे इस शहर में
रात भर अकेले में
कैसे रात भर ताका करती हु
तुम्हारा सिरहाना
सिर्फ़ शनिवार क इन्तजार में……

नीलिमा शर्मा (निविया)

नीलिमा शर्मा (निविया)

नाम _नीलिमा शर्मा ( निविया ) जन्म - २ ६ सितम्बर शिक्षा _परास्नातक अर्थशास्त्र बी एड - देहरादून /दिल्ली निवास ,सी -2 जनकपुरी - , नयी दिल्ली 110058 प्रकाशित साँझा काव्य संग्रह - एक साँस मेरी , कस्तूरी , पग्दंदियाँ , शब्दों की चहल कदमी गुलमोहर , शुभमस्तु , धरती अपनी अपनी , आसमा अपना अपना , सपने अपने अपने , तुहिन , माँ की पुकार, कई वेब / प्रिंट पत्र पत्रिकाओ में कविताये / कहानिया प्रकाशित, 'मुट्ठी भर अक्षर' का सह संपादन

2 thoughts on “शनिवार के इंतज़ार में

  • प्रीति दक्ष

    sundar kavita.. intzaar ko achche se varnit kiya aapne..

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर कविता !

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