कविता

तेरी यादें

तेरे यादों का लिहाफ ओढ़ कर
मे कल सारी रात चलती रही
तुम ऐसे तो न थे
तुम ऐसे कब से हुए..
मैं अपनी उँगलियों में
…सपनो कि सीपिया पहन के
अधूरी चाहत से
यूँ ही बावरी सी
चलती रही रात भर
दोस्ती आंसुओं से भी कि
…तो कुछ मीठी सरगोशियाँ भी
याद आयी तुम्हारी..
तुमने कहा था न एक बार
जो तुम बदली तो कसूर मेरा होगा
आज मैं बदली हूँ या तुम
नहीं जानती मैं…
आज भी शाम है मैं नंगे पाँव
सर्द घास पर..
तुझे सोच रही हूँ
…….ख़ामोशी से..
अपनी हाथ कि उस अंगूठी को हिलाते हुए
कुछ भी हो
हो तो तुम मेरे ही
बदल गए तो क्या हुआ…
मौसम भी तो बदल जाया करते हैं…
फिर भी हम हर मौसम का इंतज़ार करते हैं .
… आओ न…..
मैं इंतज़ार कर रही हूँ……….

नीलिमा शर्मा (निविया)

नीलिमा शर्मा (निविया)

नाम _नीलिमा शर्मा ( निविया ) जन्म - २ ६ सितम्बर शिक्षा _परास्नातक अर्थशास्त्र बी एड - देहरादून /दिल्ली निवास ,सी -2 जनकपुरी - , नयी दिल्ली 110058 प्रकाशित साँझा काव्य संग्रह - एक साँस मेरी , कस्तूरी , पग्दंदियाँ , शब्दों की चहल कदमी गुलमोहर , शुभमस्तु , धरती अपनी अपनी , आसमा अपना अपना , सपने अपने अपने , तुहिन , माँ की पुकार, कई वेब / प्रिंट पत्र पत्रिकाओ में कविताये / कहानिया प्रकाशित, 'मुट्ठी भर अक्षर' का सह संपादन

3 thoughts on “तेरी यादें

  • महातम मिश्र

    बहुत बढियां नीलिमा शर्मा जी

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    वाह वाह .

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब !!

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