कविता

आदत

हमे आदत है मुस्कुराने की ,

पर वो क्या जाने ,

दर्द है मेरे सीने में ,

लेकिन हँसी है लबों पर ,

इस हंसी की कीमत तो नहीं ,

पर जिंदगी जीने का ,

नया एहसास है मेरा

— निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४

2 thoughts on “आदत

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुंदर कविता।

    • निवेदिता चतुर्वेदी

      धन्यवाद श्रीमान जी।

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