कविता

फुर्सत

मैं कुछ पल फुर्सत के चाहती हूँ
हर बन्धन से रिहाई चाहती हूँ,

कुछ फुर्सत कलैंडर से
न डराए वो
आने वाले दिन की परेशानियों से,

कुछ फुर्सत घड़ी की
टिक टिक से
जो भागती है तेज़ मुझसे तेज़,

कुछ फुर्सत उस अपार अनंत ट्रैफिक से
जो चलता तो मेरे साथ है
पर हर कोई तन्हा है,

कुछ फुर्सत उन शिकवे शिकायतों से
जो मेरे घर पहुँचते ही
मेरे अपने करते हैं

कुछ फुर्सत उन उकताहट भरी ख़बरों से
जो इतनी हो गयी हैं कि
ज़ेहन को भी नहीं झकझकोरती,

अब कुछ पल दुनिया से विदाई चाहती हूँ,
मैं कुछ पल अपने लिए तनहाई चाहती हूँ।।।

_______प्रीति दक्ष

प्रीति दक्ष

नाम : प्रीति दक्ष , प्रकाशित काव्य संग्रह : " कुछ तेरी कुछ मेरी ", " ज़िंदगीनामा " परिचय : ज़िन्दगी ने कई इम्तेहान लिए मेरे पर मैंने कभी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा और आगे बढ़ती गयी। भगवान को मानती हूँ कर्म पर विश्वास करती हूँ। रंगमंच और लेखनी ने मेरा साथ ना छोड़ा। बेटी को अच्छे संस्कार दिए आज उस पर नाज़ है। माता पिता का सहयोग मिला उनकी लम्बी आयु की कामना करते हुए उन्हें नमन करती हूँ। मैंने अपने नाम को सार्थक किया और ज़िन्दगी से हमेशा प्रेम किया।

2 thoughts on “फुर्सत

  • विजय कुमार सिंघल

    मोहक कविता !

    • प्रीति दक्ष

      dhanywaad vijay ji aabhaar..

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