मुक्तक/दोहा

चौपाई=चन्द्र बदन

चौपाई = प्रत्येक चरण मे १६-१६ मात्राएँ
चौपाई=चन्द्र बदन
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चन्द्र बदन मम लागत कैसे,
जिमि माणिक फन विषधर जैसे/१
सावन मेघ घटा घनघोरा ,
विरहन मन चितवत चहुओरा/२
काम बान उरलागे कैसे,
तपत भूमि ज्येष्ठ मे जैसे/३
कोकिल बोल काक सम लागे,
बिनु प्रियतम जल कंटक लागे/४
अवनि भरे जल विपुल अपारा,
जरत अनल तन मन मम सारा /5

दोहा=नीद दूर अब हो गयी ,लागत हिय मे बाण/[24]

देह काठ सम सज गयी , अनल ज़रावत प्राण /[24]
राजकिशोर मिश्र ”राज”

19/07/2015

राज किशोर मिश्र 'राज'

संक्षिप्त परिचय मै राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी कवि , लेखक , साहित्यकार हूँ । लेखन मेरा शौक - शब्द -शब्द की मणिका पिरो का बनाता हूँ छंद, यति गति अलंकारित भावों से उदभित रसना का माधुर्य भाव ही मेरा परिचय है १९९६ में राजनीति शास्त्र से परास्नातक डा . राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय से राजनैतिक विचारको के विचारों गहन अध्ययन व्याकरण और छ्न्द विधाओं को समझने /जानने का दौर रहा । प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश मेरी शिक्षा स्थली रही ,अपने अंतर्मन भावों को सहज छ्न्द मणिका में पिरों कर साकार रूप प्रदान करते हुए कवि धर्म का निर्वहन करता हूँ । संदेशपद सामयिक परिदृश्य मेरी लेखनी के ओज एवम् प्रेरणा स्रोत हैं । वार्णिक , मात्रिक, छ्न्दमुक्त रचनाओं के साथ -साथ गद्य विधा में उपन्यास , एकांकी , कहानी सतत लिखता रहता हूँ । प्रकाशित साझा संकलन - युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच का उत्कर्ष संग्रह २०१५ , अब तो २०१६, रजनीगंधा , विहग प्रीति के , आदि यत्र तत्र पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं सम्मान --- युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच से साहित्य गौरव सम्मान , सशक्त लेखनी सम्मान , साहित्य सरोज सारस्वत सम्मान आदि

3 thoughts on “चौपाई=चन्द्र बदन

  • Manoj Pandey

    तख़्ती अर्थात मात्राएं गिनने का तरीका ।

  • Manoj Pandey

    यहाँ तखती करने का तरीका भी बताएँ ।

    • राज किशोर मिश्र 'राज'

      आदरणीय जी आपके स्नेह एवम् हौसला अफजाई के लिए सादर आभार

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