बाल कविता

बाल कविता : नाच रहे थे खुशी में सारे

नाच रहे थे खुशी में सारे,
रिमझिम बारिश बरस रही,
पर जाने क्यूं,एक कोने में,
बैठी चिड़िया सुबक रही,

पूछा तो बोली देखो वर्षा ने,
मेरा घरौंदा गिरा दिया
क्या करूं और कहां जाऊं मैं,
घर अब मेरा नहीं रहा,

सुनकर बात ये उसकी मेरे,
दिल को आया बड़ा मलाल,
रोओ नहीं,रो रो कर तुमने ,
आंखे कर ली दोनो लाल,

बड़े प्यार से मैने छत मैं डलिया एक लटकाई,
घास फूंस और तिनके रखकर,बढिया उसे सजाई,

देख के ये सब चिड़िया के चेहरे पे रौनक आई,
धन्यवाद जो तुमने मेरी खोई खुशी लौटाई

— असमा सुबहानी 

असमा सुबहानी

Asma Subhani (Science Teacher) Gov.Junior High School,Budpur jatt, Block -Narsan,Haridwar(Uttarakhand)

One thought on “बाल कविता : नाच रहे थे खुशी में सारे

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी बाल कविता !

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