स्वास्थ्य

तनावमुक्त होने के उपाय

पिछले लेख में मैंने बताया था तनावग्रस्त रहने से कोई समस्या हल नहीं होती, बल्कि नई समस्याएं पैदा हो जाती हैं। कई सज्जनों ने इस पर सहमति व्यक्त करते हुए पूछा है कि तनावमुक्त रहने का क्या उपाय है। उनकी जिज्ञासा को शान्त करने के लिए यहां मैं तनावमुक्त रहने के अनुभवजन्य उपाय बता रहा हूं।

सबसे पहले तो यह समझ लेना चाहिए कि तनावग्रस्त रहना एक मानसिक बीमारी है और इसका उपचार मानसिक उपायों से ही किया जा सकता है। ऐसी कोई दवा, गोली, कैप्सूल, काढ़ा नहीं होता कि आप उसे खा लें और तनावमुक्त हो जायें। तनाव मुक्त होने के लिए अपने तनाव या चिंता के कारणों को दूर करना चाहिए।

हमें तनाव या चिंता प्रायः किसी समस्या के कारण होती है। हालांकि कुछ ऐसे भावुक लोग भी होते हैं जो किसी के द्वारा एक शब्द या वाक्य गलत या अवांछनीय बोल देने पर ही तनावग्रस्त हो जाते हैं। ऐसी भावुकता उचित नहीं। अगर किसी ने आपके प्रति कोई गलत कार्य किया है या गलत बोला है, तो उससे प्रभाव से निपटने के दो तरीके हैं- या तो आप उसको उपेक्षित कर दें, या फिर उसकी ईंट का जबाब पत्थर से दें। इनमें से पहला तरीका ही सबसे अधिक सुरक्षित है। यदि किसी के गलत कार्य या वाक्य से आपको सीधे कोई हानि नहीं हो रही है, तो उसको मूर्खता मानकर उपेक्षित कर देना चाहिए। ऐसा करने से आप तत्काल तनावमुक्त हो जायेंगे।

दूसरा तरीका, ईंट का जबाब पत्थर से देने का भी है। इसको प्रायः तभी काम में लिया जाना चाहिए, जब आपको प्रत्यक्ष हानि हो रही हो तथा उसका उचित उत्तर दिये बिना काम न चल रहा हो। ऐसा करने से पहले अपनी शक्ति का आकलन अवश्य कर लेना चाहिए, क्योंकि ईंट का उत्तर पत्थर से देने पर अनेक नई समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जिनसे नये तनाव उत्पन्न हो सकते हैं।

यदि हमें तनाव या चिंता अपनी ही किसी वर्तमान समस्या के कारण है, तो उस समस्या का समाधान हुए बिना हम तनावमुक्त नहीं हो सकते। इसलिए सबसे पहले हमें उस समस्या का समाधान खोजना चाहिए। किसी समस्या का समाधान उसकी चिंता करने से नहीं बल्कि उसके बारे में चिंतन करने से हो सकता है कि इसका क्या समाधान किया जाये।

किसी समस्या को किस प्रकार हल किया जाये, यह एक अलग विषय है। इसके बारे में अलग से लिखूंगा। यहां इतना ही समझ लीजिए कि यदि किसी समस्या का समाधान सम्भव है तो हमें अपनी शक्ति भर उसका समाधान करना चाहिए और यदि उस समस्या का समाधान सम्भव ही नहीं है, तो उसे वास्तविकता या नियति मानकर संतोष कर लेना चाहिए।

तनावमुक्त रहने के दो अन्य सरल उपाय भी हैं- एक, अपने ऊपर विश्वास रखना और दो, अपने आराध्य प्रभु के ऊपर विश्वास रखना। बहुत से लोगों को अपने ऊपर विश्वास नहीं होता, इसलिए कोई जरा सी समस्या आ जाने पर या उसका संकेत मात्र मिलने पर ही तनावग्रस्त हो जाते हैं और हाय-हाय करने लगते हैं। ऐसा करना स्पष्ट रूप से मूर्खता है। हमें अपने ऊपर कम से कम इतना विश्वास अवश्य होना चाहिए कि कोई समस्या या संकट आने पर हम उसका अपनी शक्ति भर मुकाबला करेंगे। जिनको अपने ऊपर इतना विश्वास होता है, वे कभी तनावग्रस्त हो ही नहीं सकते।

लेकिन बहुत सी ऐसी समस्याएं होती हैं, जिनसे निपटने में हमारी अपनी शक्ति सफल नहीं रहती। ऐसी स्थिति में हमें अपने आराध्य देव पर विश्वास रखना चाहिए कि कोई भयंकर संकट आने पर वह निश्चय ही हमें उस संकट से निकलने का मार्ग दिखायेगा। ऐसा विश्वास बहुत से संकटों से हमारी रक्षा करता है और तनावग्रस्त होने से रोकता है। कैसी बिडम्बना है कि हम स्वयं को आस्तिक कहते हैं और अपने दैनिक जीवन का काफी समय पूजा-पाठ और मंदिरों में लगाते हैं, लेकिन जरा सा संकट या समस्या आ जाने पर ही घबड़ा जाते हैं और अपने भाग्य या ईश्वर को ही दोष देने लगते हैं। ऐसी मानसिकता बहुत हानिकारक हैं। यदि हम अपने आराध्य को मानते हैं तो यह भी मानना चाहिए कि वह हमेशा हमारे साथ है और सभी संकटों से हमारी रक्षा करेगा।

अपने ऊपर और अपने प्रभु के ऊपर विश्वास बढ़ाने का एक प्रभावी उपाय जप या ध्यान करना है। आप अपनी सुविधानुसार कभी भी कहीं भी किसी भी आसन पर शांति से बैठ जाइए और या तो गायत्री मंत्र का अर्थ सहित मानसिक जप कीजिए या अपने हृदय, नासाग्र या भ्रूमध्य में ध्यान लगाते हुए ओम् का मानसिक जप कीजिए। ऐसा करने से निश्चय ही आपको नया आत्मविश्वास प्राप्त होगा और हर प्रकार के तनाव से मुक्ति मिलेगी। ओंकार ध्वनि (उद्गीत) और भ्रामरी प्राणायाम भी इसमें आपकी बहुत सहायता कर सकते हैं।

विजय कुमार सिंघल 

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com

2 thoughts on “तनावमुक्त होने के उपाय

  • शशि शर्मा 'ख़ुशी'

    आपकी बात से पूर्णतः सहमत हूँ… मैं स्वयम भी यही उपाय अपनाती हूँ, सबसे अधिक तो मुझे अपने आराध्य पर अत्यंत भरोसा है और सच तो यही है कि अराध्य पर होने वाला भरोसा ही एक मायने में खुद पर भरोसा है, जो हमें शक्ति व मजबूती प्रदान करता है | और हमें हर संकट से निकालने के मार्ग दिखलाता है | क्योंकि जब हम में भरोसा जागता है तो सर्वप्रथम तो तनाव ही दुम दबाकर भागता है, और जब तनाव नही होगा तो हम शांत मन से सब सोच पायेंगे |

  • Man Mohan Kumar Arya

    लेख पूरा पढ़ा। लेख की प्रत्येक पंक्ति तनाव के कारण बताने के साथ उसकी मुक्ति के उपाय भी बताती है। मुझे लगता है कि एक सीमा तक काम, क्रोध, लोभ, ईर्ष्या व द्वेष भी तनाव पैदा करते हैं। मेरे मन में यह भी विचार आया है कि हमें कुछ अंतरंग मित्र भी बनाने चाहियें जिनसे हम अपनी सभी समस्याएं शेयर कर सकें। उन अनुभवी मित्रों की सलाह भी तनाव मुक्ति में सहायक हो सकती हैं। ईश्वर भक्ति और उसकी व्यवस्था में अटल विश्वास का वर्णन तो आपने बहुत अच्छी तरह से कर ही दिया हैं। हार्दिक धन्यवाद माननीय श्री विजय जी।

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