लघुकथा

लघुकथा : नियम

रूल बना दिया था उसने। आज से कुछ भी हो सब एक साथ डेनिंग टेबल पर डिनर करेंगे। दिन रात फ़ोन में आँखें गढ़ाए रहने वाले उसके बच्चे परस्पर संवाद भी लिखकर करते ।

रसोई से डोंगे लाते हुए उसने पति को बिटिया को आवाज़ लगाने को कहा। तीन बार आवाज़ लगाने पर भी जब उसका जवाब न आया तो पति और बेटे ने फॅमिली ग्रुप में लिखा ‘हे बार्बी जल्दी dinning टेबल पर आओ ज्वाला मुखी फट गया तो खुद जिम्मेदार रहोगी।’ अगले ही पल बार्बी टेबल के पास कानो में हेड फ़ोन लगाए खड़ी थी ।

आज उलटे हाथ की तरफ पानी की जगह सबके मोबाइल थे। उसकी बातो को अनमने हो सुनते हुए पति बच्चे उसके किचेन की तरफ मुड़ते ही मोबाइल देखने लगते । उसने भी रसोई में अपने सेल फ़ोन में झाँका तो बिटिया लिख रही थी- ‘पा, आज आप की हिटलर नए नियम कानून क्यों बना रही?’

‘बेटा 25 साल बाद भी मुझे नियम से छूट न मिलती नित नए नियम बनते।’

‘पा मेरी दोस्त मेरे साथ चैटिंग कर रही थी।’ अजीब एमोट बनाते बेटे ने लिखा

मुस्कराहट के साथ उसने भी लिखना शुरू किया- ‘शुक्ररिया अपने अपने कमरे से खाने के मेज तक आने का । कल का नियम होगा अपने अपने फ़ोन को अपने अपने कमरे में आराम करने दे। उनका भोजन चार्जिंग से उनको मिलता रहेगा। आप अपने हाथो का इस्तेमाल यहाँ सिर्फ खाने को करे।’

???? एमोट बना उसने फ़ोन रखकर आम की प्लेट उठायी और टेबल पर सबके हैरान परेशान चेहरे देखने लगी जो उस से दया की उम्मीद लगाए थे ।लेकिन उसको दृढ़ता से अपने नियमो का प्लान बनाना था। इस मुए व्हाट्स अप्प फेसबुक से दूर घर को कुछ पल जीवंत पल देने के लिये ।

नीलिमा शर्मा

नीलिमा शर्मा (निविया)

नाम _नीलिमा शर्मा ( निविया ) जन्म - २ ६ सितम्बर शिक्षा _परास्नातक अर्थशास्त्र बी एड - देहरादून /दिल्ली निवास ,सी -2 जनकपुरी - , नयी दिल्ली 110058 प्रकाशित साँझा काव्य संग्रह - एक साँस मेरी , कस्तूरी , पग्दंदियाँ , शब्दों की चहल कदमी गुलमोहर , शुभमस्तु , धरती अपनी अपनी , आसमा अपना अपना , सपने अपने अपने , तुहिन , माँ की पुकार, कई वेब / प्रिंट पत्र पत्रिकाओ में कविताये / कहानिया प्रकाशित, 'मुट्ठी भर अक्षर' का सह संपादन