रहा गन्तव्य सबका एक !
रहा गन्तव्य सबका एक, प्रश्न करते अनेकानेक; बहे बूँदों सरिस धारा, रहे फिर भी मनोहारा ! समय की धार सब
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Read Moreयह चोरी की घटना से हम कुछ डर गए थे क्योंकि उस कुल्हाड़ी से अगर किसी की टांग काट जाती
Read Moreयदि जीव-सृष्टि का क्रमिक विकास ही सत्य है तो प्रश्न उठता है कि मानव के बाद क्या? व कौन? यद्यपि
Read Moreसुना है टूट जातें हैं लोग अकड जाने के बाद दरक जाता है आइना इक चोट खाने के बाद बदल
Read Moreओ३म् मैं कौन हूं? यह प्रश्न कभी न कभी हम सबके जीवन में उत्पन्न होता है। कुछ उत्तर न सूझने
Read Moreमें उडने के सपने संजोती रही,वो मेरे पंख काटते रहे। मे चन्द खुशियां तलाशती रही,वो मुझे घांव बांटतें रहे॥ कुछ
Read Moreभूल सकेगा नहीं देश यह गौरव का अभियान तुम्हारा । हे भारत के भाग्य विधाता तुमको शत सम्मान हमारा ।।
Read Moreसपूत मातृभूमि के, उठो कि माँ पुकारती । कलाम तुम चले कहाँ कि रो रही है भारती । नजर उठा
Read Moreअखबार बाँटने से लेकर उनकी सुर्खियाँ बनने तक कागज के जहाज़ों से लेकर राकेट गढ़ने तक, साधारण से असाधारण कि
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