कविता

अगस्त है अगस्त है…

अगस्त है अगस्त है,
महीना बड़ा मस्त है,
सावन की पहली तिथि से-
जिसका हुआ है आगाज़ ,
मध्य में मनाएंगे राष्ट्रीय पर्व, –
जब भारत हुआ था आज़ाद ,
और​ ​जुलाई का अंतिम दिन -गुरु पूर्णिमा,
कितना पावन और कितना शुभ,
व्यास पूजा और गुरुजनो की पूजा,
और उनसे मिलेगा अथाह आशीर्वाद,
सब कितना शुभ और दिलचस्प है,
वाह वाह त्यौहार कितने ज़बरदस्त हैं,
पानी पानी जहाँ जहाँ बरसा
वहां सब कुछ अस्त-व्यस्त है,
सावन की एक फुहार को-
जहाँ जन मानस तरसा
वहां सब इन्दर देवता को,
कोसने में व्यस्त है,
वाह वाह, शनिवार १५ अगस्त है,
रविवार की संग छुट्टी पाकर, बाबू-
मौज़ मस्ती में परस्त है,
पर आजकल के युवा और बच्चे
इन के कहाँ अभ्यस्त हैं,
-कोई टीवी कोई ट्वीटर,
कोई मोबाइल और कोई फेस बुक,
सबके सब अत्यंत व्यस्त हैं,
सावन का समापन रक्षा बंधन के संग,
भाई बहन का प्यार, दिलों में प्यार की उमंग,
हर और खुशियां ही खुशियां,
हर बहन भाई से पाकर उपहार मस्त है!

—जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845

One thought on “अगस्त है अगस्त है…

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत सुन्दर रचना .

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