पद्य साहित्यमुक्तक/दोहा

अन्न की बर्बादी ?

  • बहुत हैं ऐसे जो ,एक रोटी के लिए तरसते हैं
  • थाली भर लेते हैं कुछ,आधा खाकर छोड़ देते हैं
  • जिम्मेदार हैं वे खुद, इस देश के अन्न की बर्बादी के
  • नासमझी में बर्बाद कर अन्न,औरों को भूखा रखते हैं |
  • समझदारी से थाली में उतना ले, जितना खा सकते हैं
  • जरुरत पड़ने पर हर भोज्य को, बार बार ले सकते हैं
  • सोचो जरा उन गरीब लाचार ,निराश्रय लोगो के बारे में
  • देश में ऐसे करोड़ों लोग हैं ,जो भूखे पेट सोते हैं |
  • केवल खुद के बारे में नहीं ,देश के बारे में भी सोचना है
  • देशभक्त, जिम्मेदार नागरिक का, यह पावन कर्त्तव्य है
  • अन्न की बरबादी रोकना ,है यह सबकी नैतिक जिम्मेदारी
  • जब सबके थाली में भोजन होगा,तब कहेंगे देश खुशहाल है |

कालीपद ‘प्रसाद’

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*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !