गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका -प्रेम का बंधन न कोई

शब्द का मंथन न कोई।
प्रेम का बंधन न कोई ।

व्यक्त कर दे भावना को ।
राह में अड़चन न कोई ।

राह पर अपनी चला चल ।
व्यर्थ कर चिंतन न कोई ।

आज अपने कल न होंगे ।
श्राद्ध ना तर्पण न कोई ।

नाम को मन में बसा ले ।
ओम सा चंदन न कोई ।

तृषित मन को शांति दे जो ।
कृष्ण सा नन्दन न कोई ।

लता यादव

लता यादव

अपने बारे में बताने लायक एसा कुछ भी नहीं । मध्यम वर्गीय परिवार में जनमी, बड़ी संतान, आकांक्षाओ का केंद्र बिन्दु । माता-पिता के दुर्घटना ग्रस्त होने के कारण उपचार, गृहकार्य एवं अपनी व दो भाइयों वएकबहन की पढ़ाई । बूढ़े दादाजी हम सबके रखवाले थे माता पिता दादाजी स्वयं काफी पढ़े लिखे थे, अतः घरमें पढ़़ाई का वातावरण था । मैंने विषम परिस्थितियों के बीच M.A.,B.Sc,L.T.किया लेखन का शौक पूरा न हो सका अब पति के देहावसान के बाद पुनः लिखना प्रारम्भ किया है । बस यही मेरी कहानी है