गीतिका -प्रेम का बंधन न कोई
शब्द का मंथन न कोई।
प्रेम का बंधन न कोई ।
व्यक्त कर दे भावना को ।
राह में अड़चन न कोई ।
राह पर अपनी चला चल ।
व्यर्थ कर चिंतन न कोई ।
आज अपने कल न होंगे ।
श्राद्ध ना तर्पण न कोई ।
नाम को मन में बसा ले ।
ओम सा चंदन न कोई ।
तृषित मन को शांति दे जो ।
कृष्ण सा नन्दन न कोई ।
लता यादव