कवितापद्य साहित्य

बाट

नीर भरी इन आँखों से
देखती रहती तेरी बाट
जब – जब आती तेरी याद
खटकता रहता जीवन बेकार
अमावस्या की रात जैसी
काली घटा घनघोर जैसी
हो गई है जिंदगी हमारी
कुछ पल के लिए भी
तु आ जाती मेरे पास
अपनी कमी पूरा कर
जीवन में भर देती ख़ुशियाँ हजार!

……निवेदिता चतुर्वेदी ……

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४

3 thoughts on “बाट

  • वैभव दुबे "विशेष"

    विरह वेदना स्पष्ट रूप से
    प्रदर्शित करने में सफल..
    आभार

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह !

  • महातम मिश्र

    जीवन में खुशियाँ हजार……सुन्दर रचना सम्माननीया निवेदिता जी……

Comments are closed.