कवितापद्य साहित्य

सावन

सावन मौसम है सुहाना ,
खेत खलिहान मे झुमे धाना ,
चारो तरफ हरियाली देख ,
मन प्रफुल्लीत होता अपना ,
इस मौसम मे आते है याद ,
सब अपने नए पुराने ,
सावन मे झुलो के साथ ,
करते रहते मस्ती हजार ,
संगी – साथी सबके सब ,
अपने मस्ती मे रंगा रंग ,
पेड की झुकी डाली से ,
खिले फूल की कलियो से ,
प्रकृती को सुसज्जीत करती ,
ये है प्यारी सावन हमारी !
@निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४

6 thoughts on “सावन

  • वैभव दुबे "विशेष"

    आपकी रचना ने सावन का
    एक मनमोहक रूप प्रस्तुत किया है..
    आभार

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया कविता !

  • महातम मिश्र

    वाह बहुत खूब आदरणीया निवेदिता चतुर्वेदी जी, सावन की रिमझिम फुहार……

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सावन के अंधे को सब तरफ हरा हरा दिखता है
    ?
    उम्दा रचना

    • महातम मिश्र

      सावन का नहीं आदरणीया, भादो का अँधा, हरियाली ही देखता है वह भी बैसाख में…….

      • विजय कुमार सिंघल

        कहावत में सावन ही है! वैसे हरियाली तो पूरे साल होती है।

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