कविता

परिपक्वता

तुमको मुझसे शिकायत है इस बात की
कि मुझे सबसे शिकायत क्यों नही है
पर क्या ये सही है?
जबकी सबने मुझे दर्द दिया
कोई कम तो कोई ज्यादा
सबने मेरा उपयोग किया
बनाकर मुझे प्यादा
जब चाल उल्टी पड़ गयी
तो प्यादा क्या करेगा
वो तो सिर्फ मरना जानता है
इसलिये मरेगा
जिस पगडंडी पर तुम चल रहे हो
उससे मैं गुजर चुका हूँ
पाँव में पड़े फफोले से उबर चुका हूँ
पुनः उस पगड़ंडी पर नही जाऊँगा
पर तुझे समझाऊँगा
निर्भिक होकर गुजर जाओ
क्योंकि बिना गुजरे गुजारा नहीं है
पथ में अकेले हो सहारा नहीं है
तुम अकेले नही हो!
यह तुम्हारा भरम है
क्योंकि अभी तुम्हारा खून गरम है
उसे रग रग में बहाओ
अपनी भुजाओं को बलिष्ट बनाओ
पर खोंपड़ी में मत बहने दो
उसे हृदय में ही रहने दो…
उसे हृदय में ही रहने दो….

कन्हैया प्रसाद तिवारी

परिचय कन्हैया प्रसाद तिवारी भूतपूर्व वारंट अफिसर भारतीय वायु सेना पता हथडीहाँ रोहतास बिहार