गीतिका/ग़ज़ल

गजल

सब बीजों में पेड़ों के आसार लिखो
झरनों पर भी सागर सा विस्तार लिखो

सारी खुशहाली है दौलतमंदों की
मुफ़लिस के घर भी कोई त्योहार लिखो

बेकारी की चक्की ने है यों पीसा
कितने जिंदादिल हो गए बीमार, लिखो

पार समंदर जब उतरे तो हैरां थे
साहिल पर है कैसी ये मझधार, लिखो

मत चलने दो तूफानों की मनमानी
अब मौजों पर फौलादी पतवार लिखो

छुट्टी के दिन भी क्या आपाधापी है
मशरूफी से खाली इक इतवार लिखो

——- पूनम

पूनम पाण्डेय

नाम - पूनम पाण्डेय शिक्षा - बी एस सी, बी एड हिंदी साहित्य (गद्य एवं काव्य दोनों) में गहरी रूचि अंतरजाल पर सक्रिय लेखन

One thought on “गजल

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सुंदर

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