कविता

खुशी! तु ही बता ….

खुशी! तु ही बता
तुझे पाकर क्यों इतराऊं।
जानता हूं, तु बेवफा है
फिर तेरे आगे झोली क्यूं फैलाऊं॥

जमाना जानता है
तेरी बेवफाई का, कोई ठिकाना नही है
मेरे दर्द को देख
जिसके पास
मुझे छोडने का,कोई बहाना नही है
तु बदलती है हर रोज ठिकाना, फिर तुझे अपना कैसे बताऊं….
जानता हूं तु बेवफा है
फिर तेरे आगे झोली क्यूं फैलाऊं…..

दिन रात खूब तलाशा तुझे
पर तु हमेशा लुका छुपी खेलती रही।
झलक दिखा दिखा
मुझे कोल्हु का बैल बना ठेलती रही॥
जानता हूं तु दगाबाज है
फिर बार बार धोखा क्यूं खाऊं…
जानता हूं ,तु बेवफा है
फिर तेरे आगे झोली क्यूं फैलाऊं….

करते हैं जो तेरी मिन्नते
वो कोई और होंगे
हिम्मत नही होगी उनमें
कमजोर होंगे।
जानता हूं,
तु हसरत है हर किसी की
अपनी खुदी पर इतना गुमां ना कर
हमारे भी कभी दौर होंगे॥
बहकते होंगे लोग तेरे नशे मे मगर, मे अपने कदम क्यूं डगमगाऊं….
जानता हूं, तु बेवफा है
फिर तेरे आगे झोली क्यूं फैलाऊं……

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.