लघुकथा

मुक्ति का फैसला

 

विनोद टेलीविज़न पर कीटाहारी पौधो पर डॉक्यूमेंट्री देख रहा था जिस में भिन्न-भिन्न प्रकार के पौधे दिखाए जा रहे थे जैसे एक था “सुन्दरी का पिंजड़ा” यानि” वीनस फ्लाई ट्रैप प्लांट “| मधु की तलाश में भटकता हुआ कीड़ा जैसे ही उस पर बैठता है, ये पौधा उसे अपनी गिरफत में ले लेता है. ग्रंथियों से निकला पाचक रस इस कीड़े को सोख लेता है और कीड़ा खत्म होने पर ही ये पौधा खुलता है दूसरा घटपर्णी पौधा यानि पिच्चर प्लांट यह पौधा सुराही के आकार का था | सुराही की परिधि से एक तरल पदार्थ निकलता रहता है जो कीड़ों को आकर्षित करता है। जैसे ही कीड़ा सुराही पर आकर बैठता है वो सुराही में फिसल कर मर जाता है | दूर से दिखनेवाली मधु की सुराही वास्तव में कीड़े और जन्तुओ के लिए मौत की सुराही रहती है।

और भी ऐसे बहुत सारे पौधे दिखाए जा रहे थे विनोद ये प्रोग्राम बहुत ध्यान से देख रहा था. नजदीक मेज पर ऐशट्रे में बहुत सी सिगरेटों की राख पड़ी थी , कमरे में धुआं फैला हुआ था तभी विनोद जोर-जोर से खांसने लगा। थोड़ी देर बाद जब खांसी कम हुई, तो उसने एक और सिगरेट सुलगाई और फिर से प्रोग्राम देखने लगा |उसकी इस आदत से सभी परिवार वाले बहुत परेशान और चिंतित रहते, वो हर समय उसे सिगरेट छोड़ने के लिए मिन्नतें करते रहते क्योंकि उसकी सेहत दिन- ब- दिन ख़राब होती जा रही थी पर वो इस दलदल में इतना धंस चुका था इसको छोड़ न पाता।

तभी सिगरेट का कश छोड़ते हुए विनोद ने अपनी बेटी को आवाज दी और बोला ” मीनू बेटी देख तो कितने खतरनाक प्लांट है, बेचारे कीटों और जन्तुओ को अपनी गिरफत में ले कर मार देते है, उन्हें कितनी दर्दनाक मौत देते है ” मीनू ने आते ही कमरे में फैले हुए धुंए को, बाहर निकलने के लिए खिड़की खोली और पिता के पास बैठ कर कार्यक्रम देखने लगी,फिर कुछ सोचते हुए अपने पिता से बोली ” पापा मुझे तो ये प्लांट भी सिगरेट, शराब, ड्रग जैसे नशों के जैसा ही लगता है| यह नशे भी इंसान को ऐसे ही अपनी गिरफत में लेकर उसका विनाश कर देते है | आप के प्यारे दोस्त राहुल अंकल को भी शराब ने, मौत के आगोश में भेज दिया । दुनिया में बहुत से लोग इन नशों के कारण अपना जीवन गंवा बैठते है, हम आप को बहुत प्यार करते है पापा, आप को खोना नहीं चाहते , ये नशा आप की सेहत के लिए बहुत हानिकारक है प्लीज हमारी खातिर इसे छोड़ दीजिए ।“

विनोद काफी देर तक उन जानलेवा पौधों में तड़प-तड़प कर मर रहे जंतुओं और सिगरेट के धुएं को देखता रहा | बेटी की बातें उसके दिमाग में घूमती रहीं. अचानक उसने सुलगाई हुई सिगरेट को ऐशट्रे में मसल का बुझा दिया और सिगरेट का पैकेट और ऐशट्रे खिड़की से बाहर फेंक दिए. मन-ही-मन वह सिगरेट से मुक्ति का फैसला ले चुका था।

7 thoughts on “मुक्ति का फैसला

  • शशि शर्मा 'ख़ुशी'

    प्रेरक लघुकथा,,, काश सभी यूँ ही सबक ले सकें ,,ताकि अपनी लत से मुक्ति ही नही बल्कि अपने परिवार जनों को भी चिंता से मुक्ति दिला सकें |

    • मनजीत कौर

      प्रिय शशि जी आप ने बिलकुल सही कहा अगर इंसान इस बात को समझ ले की नशा विनाशकारी है तो इसको कभी भी इस्तमाल नहीं करेगा | जबकि इन नशो पर” सेहत के लिए हानिकारक” की चेतावनी भी दी गयी होती है फिर भी पता नहीं किओ , इंसान उसे अनदेखा करके इन नशो का इस्तमाल करता है और अपने जीवन को खतरे में डालता है । लघुकथा पसंद करने और सुन्दर कॉमेंट के लिए आप का हार्दिक शुक्रिया

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी प्रेरक लघुकथा, बहिन जी ! आभार !

    • मनजीत कौर

      आदरणीय भाई साहब, लघुकथा पसंद करने और होंसला अफजाई करने के लिए दिल की गहराईयों से शुक्रिया जी |

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    सिगरेट नोशी भी वीनस फ्लाई ट्रैप ही है ,बस समझने की जरुरत ही है .

    • विजय कुमार सिंघल

      भाईसाहब, सभी नशे इसी तरह विनाश की ओर ले जाते हैं।

    • मनजीत कौर

      आदरणीय भाई साहब, लघुकथा पसंद करने और होंसला अफजाई करने के लिए हार्दिक शुक्रिया जी |

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