गीत/नवगीत

मोहे प्रेम रंग, रंग दो….

रंग मोहब्बत बरसा ऐसा, एक रंग सब रंग जाऐं।
मन धानी धानी हो जाये, तन धानी रंग रंग जाये॥

मोहे प्रेम रंग, रंग दो
बलम मोहे प्रेम रंग दो
मन धरती कुछ ऐसा बरसो
सब सावन कर दो….
मोहे प्रेम रंग, रंग दो
बलम मोहे प्रेम रंग दो….

रोम रोम हर्षित होई जावै
मन मंगल ही मंगल गावै
अबकी ऐसा रंग ले बरसो
जन्मों जन्म उतर नही पावै॥
बूंद बूंद जीवन अमृत हो
तरुणाई संग दो….
मोहे प्रेम रंग, रंग दो
बलम मोहे प्रेम रंग दो….

चहूं दिश श्याम दरस पाऊं में
श्याम रंग मे ही रंग जाऊं में
तुम मुरलीधर अधर बजाओ
राधा बन संग संग आऊं में
फिर जमना तट मुरली मधुर से, सम्मोहित कर दो….
मोहे प्रेम रंग, रंग दो
बलम मोहे प्रेम रंग दो….

मन तृष्णा से मुक्ती दे दो
प्रेम की अनुपम शक्ति दे दो
प्रीत रीत रग रग मे भर के
तर जाऊं भव भक्ति दे दो॥
हे! प्रिय प्राण पति परमेश्वर, करुणा रंग संग संग दो….
मोहे प्रेम रंग, रंग दो
बलम मोहे प्रेम रंग दो……

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.