गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका : भारत की पहचान है हिंदी

भारत की पहचान है हिंदी
हर दिल का सम्मान है हिंदी.

जन जन की है मोहिनी भाषा
समरसता की खान है हिंदी.

छन्दों के रस में भीगी ये
गीत गजल की शान है हिंदी.

ढल जाती भावों में ऐसे
कविता का सोपान है हिंदी.

शब्दों का अनमोल है सागर
सब कवियों की जान है हिंदी.

सात सुरों का है ये संगम
मीठा सा मधुपान है हिंदी.

क्षुधा ह्रदय की मिट जाती है
देवों का वरदान है हिंदी.

वेदों की गाथा है समाहित
संस्कृति की धनवान है हिंदी.

गौरवशाली भाषा है यह
भाषाओं का ज्ञान है हिंदी.

भारत के जो रहने वाले
उन सबका अभिमान है हिंदी।

— शशि पुरवार