कविता

गजल दे जायेंगे

लफ्जों के संग का महल दे जायेंगे
होठों को छूकर गजल दे जायेंगे

जिसकी खुशबू महकेगी दूर तक
खूबसूरत इक कँवल दे जायेंगे

महफ़िलों में ढूंढेगी हर इक नज़र
दिल में कुछ ऐसा असर दे जायेंगे

जागीर किसकी हो सकी है ये कलम
सच को हम बेख़ौफ़ लिखते जायेंगे

सरहद जा के लड़ने का न है हुनर
ख्याल हैं हथियार,लड़ते जायेंगे

अशआर का अर्थ जाना,वर्षों लगे
पैदा हुए जो,शायर बनते जायेंगे

है परस्तिश और इबादत शायरी
शिद्दत से ही आगे बढ़ते जायेंगे

मक़्ता…
नफरतों से क्या हुआ हासिल’वैभव’
प्यार की हर शै पे लिखते जायेंगे

वैभव दुबे "विशेष"

मैं वैभव दुबे 'विशेष' कवितायेँ व कहानी लिखता हूँ मैं बी.एच.ई.एल. झाँसी में कार्यरत हूँ मैं झाँसी, बबीना में अनेक संगोष्ठी व सम्मेलन में अपना काव्य पाठ करता रहता हूँ।

6 thoughts on “गजल दे जायेंगे

  • शशि शर्मा 'ख़ुशी'

    बहुत खूब…. सुंदर व भावपुर्ण सृजन |

  • विजय कुमार सिंघल

    बढिया गजल !

    • वैभव दुबे "विशेष"

      उत्साहवर्धन हेतु हृदय से आभार सर जी

    • वैभव दुबे "विशेष"

      आपकी प्रतिक्रिया ने उत्साह बढ़ाया है
      धन्यवाद

    • वैभव दुबे "विशेष"

      सराहना हेतु हृदय से धन्यवाद
      राजीव जी

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