कविता

महानगर में

कौन से उज्जवल
भविष्य की ख़ातिर
हम पड़े हैं–
महानगर के इस
बदबूदार घुटनयुक्त
वातावरण में।
जहाँ साँस लेने पर
टी० बी० होने का ख़तरा है
जहाँ अस्थमा भी
बुजुर्गों से विरासत में मिलता है
और मिलती है
क़र्ज़ के भारी पर्वत तले
दबी, सहमी-सहमी-सी
खोखली जिंदगी।
और देखे जा सकते हैं
भरी जवानी में पिचके गाल / धसी आँखें
सिगरेट से पतली टांगे
खिजाब से काले किये सफ़ेद बाल
हरियाली-प्रकृति के नाम पर
दूर-दूर तक फैला
कंकरीट के मकानों का विस्तृत जंगल
कोलतार की सड़कें
बदनाम कोठों में हँसता एच० आई० वी०
और अधिक सोच-विचार करने पर
कैंसर जैसा महारोग … गिफ्ट में।

महावीर उत्तरांचली

लघुकथाकार जन्म : २४ जुलाई १९७१, नई दिल्ली प्रकाशित कृतियाँ : (1.) आग का दरिया (ग़ज़ल संग्रह, २००९) अमृत प्रकाशन से। (2.) तीन पीढ़ियां : तीन कथाकार (कथा संग्रह में प्रेमचंद, मोहन राकेश और महावीर उत्तरांचली की ४ — ४ कहानियां; संपादक : सुरंजन, २००७) मगध प्रकाशन से। (3.) आग यह बदलाव की (ग़ज़ल संग्रह, २०१३) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से। (4.) मन में नाचे मोर है (जनक छंद, २०१३) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से। बी-४/७९, पर्यटन विहार, वसुंधरा एन्क्लेव, दिल्ली - ११००९६ चलभाष : ९८१८१५०५१६