गीत/नवगीत

भाई तो परदेस बसा है….

भाई तो परदेस बसा है, मैं पर बस इस देश।
ओ कागा ले आ रे उसके, आने का संदेश॥

दीपक चंदन और रोली का, थाल सजाये बैठी हूं।
राखी लिये हाथ नयनों को, राह बिछाये बैठी हूं॥
तेरे माथे तिलक करूं, बिसरा कर मन का कष्ट कलेश…
ओ कागा ले आ रे उसके, आने का संदेश…

चूम के तेरा माथा भैया, राखी बांधू हाथ।
आजा तुझपे वार दूं मैं आशीषों कि सौगात।
तू मेरी दुनियां औ भैया, तू ही शेष महेश…
ओ कागा ले आ रे उसके, आने का संदेश..

जब तक ना आओगे भैया, कंठ ना उतरे नीर।
जब तक तुझको ना देखूंगी, मिटे ना मन की पीर॥
औ भैया ओ चंदा, आजा इस त्यौहार विशेष…….
ओ कागा ले आ रे उसके, आने का संदेश….

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

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