धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

भगवान बिक रहे है

इस दुनिया में पाप का घड़ा कुछ इस तरह भर रहा है,
मिटी से बने कुछ प्रतिमाये भगवान के नाम पर बिक रहा है,

कलयुग के इस मध्यम चरण में लोग
झूठे मुस्कान बोल रहे है ,
उन्हें बाजारो में लेजानेे से पहले उनका मोल भाव टोल रहे है,

कौन सबसे जयादा भाव में बिकेंगे किसकी पब्लिसिटी जयादा है उन्हें ये प्रयाप्त मात्रा में रख लेते है,
अपना पेट भरने के लिए आज के ये इंसान मिटी से बना कर भगवान तक को बेच देते है.

देख कर इस पापियो से भरी नगरी को ये खुदा मैं घबड़ा गया हु,
क्या बिताती होगी आप पर खुद को बिकते हुए देख कर ये सोच रहा हु,

अब आप ही बता दे ऐ खुदा की मैं अब किसे मानु खुदा,
माँ से सुना है,
ऊपर बैठे इंसान को मिटी से आप बनाते हो और यहाँ इंसान मिटी से आपको..?

अखिलेश पाण्डेय

नाम - अखिलेश पाण्डेय, मैं जिला गोपालगंज (बिहार) में स्थित एक छोटे से गांव मलपुरा का निवासी हु , मेरा जन्म (23/04/1993) पच्छिम बंगाल के नार्थ चोबीस परगना जिले के जगतदल में हुआ. मैंने अपनी पढाई वही से पूरी की. मोबाइल नंबर - 8468867248 ईमेल आईडी -akhileshpandey109@gmail.com Maihudeshbhakt@gmail.com Website -http://pandeyjishyari.weebly.com/blog/1

One thought on “भगवान बिक रहे है

  • विजय कुमार सिंघल

    आपके भाव अच्छे हैं, लेकिन भाषा पर बिहार का प्रभाव स्पष्ट नज़र आता है जिसके कारण वर्तनी और व्याकरण की अनेक ग़लतियाँ हो गयी हैं। यदि संभव हो तो अपनी भाषा सुधारें।

Comments are closed.