ब्लॉग/परिचर्चाराजनीति

नीतीश के इरादे

२०१४ के लोक सभा चुनाव से पहले मोदी जी ने जनता को बहुत सारे सपने दिखाए. जनता ने उन्हें पूर्ण समर्थन दिया. १५ महीनों में कोई खास परिवर्तन हुआ है, ऐसा नजर नहीं आ रहा. पर मोदी जी अपनी उपलब्धियां गिनाते नहीं थकते! फिर आया दिल्ली विधान सभा का चुनाव. इसके लिए भी केजरीवाल ने बहुत सारे हंसीन सपने दिखाए, दिल्ली की जनता ने उन्हें ७० में से ६७ सीटें देकर अभूतपूर्व बहुमत दिया. तब से वे केंद्र सरकार से हमेशा टकराव की मुद्रा में रहे हैं. केंद्र सरकार भी उनपर और उनके विधायकों पर हाथ धोकर पड़ी है. केजरीवाल का कहना है- ‘वे परेशान करते रहे, हम काम करते रहे’. वे भी अपनी उपलब्धियां गिनाते नहीं थकते. इधर पटना में आकर नीतीश कुमार के साथ मंच साझा किया और एक दूसरे का जमकर गुणगान किया. कुछ लोगों का मानना है कि नीतीश कुमार भी जनता की नब्ज को पहचानते हैं, इसीलिए केजरीवाल की तर्ज पर ढेरों वादे कर रहे हैं. वह भी अकेले. उन्हें लगता है, वे वर्तमान मुख्य मंत्री तो हैं ही, भावी मुख्यमंत्री भी वही रहेंगे. इसलिए उन्होंने अपना इरादा और वादा पेश कर दिया. पिछले दस सालों के शासन में उनका प्रदर्शन कुछ हद तक ठीक ही कहा जा सकता है, क्योंकि उन्होंने बिहार को पटरी पर लाने का काम किया. विकास दर करीब १२% के आसपास रहा, यह उनका दावा है. उनकी सरकार भाजपा के साथ गठबंधन में अच्छा काम कर रही थी. पर मोदी जी का नाम जैसे ही भावी प्रधान मंत्री के रूप में लिया गया उन्होंने भाजपा से समर्थन वापस ले लिया. लोक-सभा में हार के बाद नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने मुख्य मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया और दलित/महादलित वर्ग के जीतन राम मांझी को मुख्य मंत्री बना दिया. मांझी कुछ दिन तक तो नीतीश के इशारे पर काम करते रहे, पर भाजपा की शह पाकर उन्होंने अपना रंग दिखाना शुरू किया. फलस्वरूप उन्हें अपदस्त कर नीतीश कुमार पुन: मुख्य मंत्री की कुर्सी पर आसीन हो गए. इसमें साम्प्रदायिकता के खिलाफत के नाम पर राजद और कांग्रेस ने उनका साथ दिया. अब अगली विधान सभा के लिए चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, नीतीश कुमार के महागठबंधन और भाजपा के साथ राजग में खलबली बढ़ती जा रही है. भाजपा और उसके सहयोगी दलों में मुख्य मंत्री पद के लिए अनेकों नाम और दावेदार हैं, जबकि इधर सर्वमान्य घोषित नेता नीतीश कुमार हैं. अब नीतीश कुमार अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नजर आ रहे हैं, तभी उन्होंने अपने इरादे को प्रेस के माध्यम से जाहिर कर दिया. इस घोषणा में उनके सहयोगी दल का कोई भी नेता नहीं था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को अगले पांच साल की योजनाओं का खुलासा किया। देश में सर्वाधिक युवाओं की आबादी वाले प्रदेश बिहार में नीतीश ने युवाओं के साथ महिलाओं पर अपना दांव खेला है। अगले पांच साल की योजनाओं में युवाओं और महिलाओं को सर्वाधिक तरजीह दी गई है। राज्य सरकार की सभी नौकरियों में महिलाओं को 35 फीसद आरक्षण दिया जाएगा। शिक्षक नियोजन में महिलाओं के लिए 50 फीसद आरक्षण का प्रावधान यथावत रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने कहा कि सवा लाख करोड़ रुपये के पैकेज के जवाब में बिहार के विकास के लिए दो लाख 70 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। एक नजर में नीतीश का विजन रिपोर्ट- – – युवा क्रेडिट कार्ड से युवाओं को मिलेगा चार लाख का ऋण – ऋण पर राज्य सरकार देगी तीन फीसद सब्सिडी – युवाओं को मिलेगा एक हजार रुपये का स्वयं सहायता भत्ता – 500 करोड़ रुपये का होगा उद्यमिता विकास फंड – विवि एवं कॉलेजों में निश्शुल्क वाई-फाई की सुविधा नीतीश कुमार ने कहा, यह राज्य सरकार, जदयू या महागठबंधन नहीं; बल्कि पूरी तरह से हमारी व्यक्तिगत योजना है। जनता ने जब से काम करने का मौका दिया, तब से न्याय के साथ विकास की राह पर चल रहे हैं। अपने अनुभव के आधार पर हमने सोचा है कि जो कार्य हो रहा है, उससे अलग भी अगले पांच साल तक कार्य करेंगे; अगर बिहार के लोगों ने मौका दिया। प्रदेश की जनता का भरोसा टूटने नहीं देंगे।हमारी जो योजनाएं चल रही हैं, उनसे अलग अन्य योजनाएं शुरू की जाएंगी। पुरानी योजनाएं भी अपडेट होंगी। भाजपा के लोग हर बात पर रिएक्ट (प्रतिक्रिया) करते हैं, जबकि मैं एक्ट (काम) करता हूं। यह उनकी समस्या है। मैं तो काम करने में विश्वास करता हूं। योजना की रूप-रेखा जारी करते हुए नीतीश ने कहा कि बिहार की 76 फीसद आबादी कृषि पर निर्भर है, इसलिए इस दिशा में कार्य चल रहा है। शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि अनेक बातों पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। अगले पांच सालों में बिहार और तेजी से आगे बढ़ेगा। हमने बहुत कुछ हासिल किया है। बकौल नीतीश, बिहार में युवा आबादी सबसे अधिक है। हमें युवा बहुल राज्य के लिए शिक्षा, रोजगार के अवसर, कौशल विकास को सक्षम बनाने की ओर ध्यान देना होगा। नई पीढ़ी जब तक रोजगार न पाए और वह सक्षम न हो, तो हम लक्ष्य हासिल नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना शुरू करेंगे। 12वीं पास विद्यार्थी चार लाख रुपये तक लोन का ले सकेंगे। सरकार इसके ब्याज में तीन फीसद की सब्सिडी देगी। हर प्रखंड में रोजगार के लिए युवाओं का पंजीकरण होगा, साथ ही कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। युवा बेरोजगार को स्वयं सहायता भत्ता दिया जाएगा। 20 से 25 साल की आयु के युवा-युवतियों को नौ माह तक एक हजार रुपये दिए जाएंगे। इसका लाभ दो बार उठाया जा सकता है। इससे युवाओं को रोजगार तलाशने में मदद मिलेगी। युवाओं में उद्योग के प्रति रुचि पैदा करने के लिए 500 करोड़ का उद्यमिता विकास के लिए फंड का प्रावधान किया गया है। उद्योग लगाने वाले युवाओं को फंड के माध्यम से राशि उपलब्ध कराई जाएगी। सभी विश्वविद्यालय और कॉलेजों में नि:शुल्क वाई-फाई सुविधा दी जाएगी। इन योजनाओं पर अगले पांच सालों में 49 हजार 800 करोड़ रुपये खर्च होंगे। अगले पांच सालों में गांवों और शहरों के सभी घरों को पाइप जलापूर्ति से जोड़ दिया जाएगा। इससे गांव के 1.79 करोड़ और शहर के 16 लाख परिवार लाभान्वित होंगे। इस पर 47 हजार 700 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। नीतीश जी का मानना है कि हर घर में शौचालय होना जरूरी है। इसके लिए योजना शुरू करने की जरूरत है। अगले पांच साल में गांव के 1.64 करोड़ और शहर के 7 लाख 52 हजार परिवार को लाभ मिलेगा। इस पर 28 हजार 700 करोड़ रुपये खर्च होंगे। अगले पांच साल में हर घर में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य है। इसके तहत करीब 55 हजार 600 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। कहा कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से वंचित सभी गांवों को पक्की सड़कों से जोड़ा जाएगा। गांवों में पक्की गली और नाला का निर्माण किया जाएगा। इस कार्य को पूरा करने के लिए 78 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नीतीश कुमार ने बेहतर विकास की बात कही है। स्वास्थ्य क्षेत्र में विकास के लिए पांच नए मेडिकल कॉलेज बनवाने की बात कही। उच्च व व्यावसायिक शिक्षा के लिए जिला व अनुमंडल में उच्च शिक्षा की कमेटी का गठन किया जाएगा। महिला आइटीआइ, इंजीनियरिंग कॉलेज, पारा मेडिकलसंस्थान पॉलीटेक्निक और नर्सिंग कॉलेज की स्थापना की जाएगी। इस मौके पर वित्त मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी, सांसद हरिवंश भी उपस्थित थे। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) द्वारा उन्हें अहंकारी कहे जाने के मुद्दे पर मीडिया कर्मियों से कहा कि वे इस बात का फैसला खुद करें कि उनमें और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में से अहंकारी कौन है। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘अहंकारी मैं हूं या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, इस बात का फैसला मैं आप लोगों पर छोडता हूं।’ रही-सही कसर नीतीश कुमार ने रविवार को आयोजित पटना गाँधी मैदान की ‘स्वाभिमान रैली’ में पूरी कर दी. यहाँ भी नीतीश कुमार ने मोदी जी के डी. एन. ए. वाले बयान को बार-बार ललकारा. आंकड़ों के सहारे बताया कि बिहार अन्य राज्यों से बेहतर है और आगे बढ़ रहा है. उन्होंने फिर से एक बार नौजवानों और महिलाओं को लुभाने की कोशिश की. उन्होंने कहा – “वे कहते हैं, हम अहंकारी हैं, अहंकार हमारे खून में नहीं है पर स्वाभिमान हमारे रग-रग में व्याप्त है.” इस महागठबंधन के सभी दल के प्रमुख नेताओं ने भाग लिया. पटना में पूरे बिहार के लोगों का जमघट से लगता है कि लोगों का जन समर्थन इस गठबंधन के साथ है. इस रैली में सोनिया गाँधी के साथ साथ शरद यादव, गुलाम नबी आजाद, प्रभुनाथ सिंह,रघुवंश प्रसाद यादव, लालू प्रसाद, शिवपाल यादव आदि ने संबोधित किया और बिहार के लोगों से महागठबंधन के लिए समर्थन माँगा है. रैली में उपस्थित भीड़ ने महागठबंधन के लोगों में उत्साह का संचार किया है. मोदी जी भी अपनी सभाओं में भीड़ को ही समर्थन का पैमाना मानते हैं. अब बाकी फैसला तो जनता को करना है कि अगली बार किसकी सरकार? फिर से नीतीश कुमार या आयेगी मोदी जी की भाजपा सरकार! – जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.

9 thoughts on “नीतीश के इरादे

  • आदरणीय लेख अच्छा है अगर विकास का मामला अगर नीतीश कुमार जी से। देखते हैं तो वे अपनी चन्द राजनीतिक फायदा के लिए बिहार को चौपट कर दिया है जिसे कोई भी आने वाली सरकार कभी भी सुधार नहीं सकती क्योंकि किसी देश राज्य या परिवार के विकास का पहला आधार शिला है वहाँ की शिक्षा और ये शिक्षा को ही बिहार में बर्बाद कर दिये हैं इसका प्रमाण सिर्फ यही है कि २००५से अब तक अप्रशिक्षित शिक्षकों की बहाली और बिना प्रतियोगिता की इसमें अयोग्य शिक्षकों की ज्यादा संख्या है और ये शिक्षा में सुधार कम और भोट बैंक करने की ज्यादा सोचते हैं इसका प्रमाण हर साल विद्यालयों में जनवरी में छात्र वृत्ति पोशाक साईकिल ७५%उपस्थिति के आधार पर दी जाती थी लेकिन अबकी साल मतदान से पहले शिक्षकों का वेतन रोक कर सभी नियमों को ताख पर रखकर(७५%उपस्थिति समाप्तकर) ये सारी सुविधाएं बच्चों को दिये । हम समझ नहीं पाते हैं कि बच्चों को सुविधा की जरूरत है या ज्ञान की। हमने आजतक हाईस्कूल एवं इन्टर कालेज में नियोजित शिक्षक नहीं देखें यह पहला बिहार राज्य है शर्म आती हैं अपने राज्य का नाम लेने में ।

  • विजय कुमार सिंघल

    आपका लेख अच्छा है पर एकतरफ़ा है। आप नीतिश से कुछ ज्यादा ही प्रभावित लगते हैं। नीतिश के अधिकांश वायदे वही हैं जो ५ साल पहले किये थे। उनमें से एक भी पूरा नहीं हुआ। अब केजरीवाल के प्रभाव में जनता को मूर्ख बनाने के लिए फ्री वाई फ़ाई जैसे वायदे कर रहे हैं। यह को रेजरीवाल भी दिल्ली जैसे शहर में नहीं दे पाये। नीतिश क्या देंगे।
    बिहार की जनता इन सब बातों को समझती है। इस बार लालू के साथ नीतिश का भी सफ़ाया हो जाएगा। कांग्रेस तो किसी गिनती में ही नहीं है। कुछ सीटें पाकर नाक बचा ले तो बहुत है।

    • आदरणीय विजय कुमार सिंघल साहब, सादर अभिवादन! आजतक अधिकांश पार्टियों ने जनता को बेवकूफ ही बनाया है. रही बात नीतीश की तो नीतीश कुमार ने अगर कुछ नहीं किया होता तो जनता दुबारा उन्हें नहीं चुनती. अब नाक की लड़ाई तो मोदी जी की भी है, जो दिल्ली में ही कट चुकी है. बाकी मुद्दे आप भी जानते हैं, सर! अंत में फैसला तो जनता को ही करना है …मोदी को मिले जनमत को तो आप सराहते हैं पर केजरीवाल के जनमत को क्यों नहीं? सादर!

      • विजय कुमार सिंघल

        केजरीवाल को कोई जनमत नहीं मिला, ग़लतफ़हमी मत पालिए. कांग्रेस ने भाजपा को हराने के लिए अपने वोट झाड़ू पार्टी को डलवा दिए थे. दिल्ली की जनता आज रो रही है. बिहार में क्या होगा यह आप देख लेना और मैं भी देख लूँगा.

        • बिहार में क्या होगा यह आप देख लेना और मैं भी देख लूँगा.- इसके अलावा और क्या चारा है आदरणीय! वहां वोट डालने या प्रचार करने न तो मैं जानेवाला हूँ न ही आप … भूमि अधिग्रहण बिल भी कांग्रेस ने ही लौटाने पर मजबूर कर दिया! है न! सादर!

  • वैभव दुबे "विशेष"

    बेहतरीन आलेख सर जी

    सरकार किसी की भी आये
    हमारे सब सपने पूरे हो जाये
    कोई करे न गुमराह भावनाये
    भारत देश आगे ही बढ़ता जाये

    • हार्दिक आभार आदरणीय वैभव दुबे विशेष जी …भारत आगे बढे …भला यह कौन नहीं चाहेगा?

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    किसी की सरकार बने
    फायदा देश हित हो तो न

    • यही तो विडम्बना है आदरणीया विभा रानी श्रीवास्तव जी! आलेख पढ़ने और प्रतिक्रिया देने के लिए हार्दिक आभार!

Comments are closed.