कविता

जिन्दगी खामोश है, ठहर सी गई है …………………………………. 

जिन्दगी खामोश है
ठहर सी गई है,
रंगमंच खाली पड़ा है,
वक्त यूंही निकल रहा है,

मेरी कलम नहीं ठहरी है,
उसे बढ़ना है,
मुझे सम्भालना है,
वक्त यूंही निकल रहा है,

जिन्दगी में कई पात्र देखे,
उनमें ढलने की भी
बहुत कोशिश की मैंनें,
वक्त यूंही निकल रहा है,

जो चाहा उसे पाने की
दूरी बढ़ती ही रही,
ना खत्म होने वाला ये इंतजार,
वक्त यूंही निकल रहा है,

कोई चुभन मन में है,
कोई घात लिए बैठा है,
रास्ते बुलाते हैं मुझे,
वक्त यूंही निकल रहा है,

बर्फ पुरी पिघलती नहीं
फिर से जमने लगती है,
शिकायत दूर होने से पहले ही
वक्त यूंही निकल रहा है,

खामोशी टूटेगी एक दिन,
मेरी चेतना मेरा चिन्तन,
कुछ तो भरेगा मन को
वक्त यूंही निकल रहा है,

हर पौधे का अनुराग है,
अनुरक्त भी और नव जीवन भी,
मैं क्यों पतझड़ बना हूँ अब तक,
वक्त यूंही निकल रहा है,

दो ह्दय की मध्यस्था के लिए
दूनिया को खोज लिया,
मन अब तक ना मिले,
वक्त यूंही निकल रहा है,

डॉ. नितिन मेनारिया

नाम : नितिन मेनारिया माता का नाम : श्रीमती निर्मला मेनारिया पिता का नाम : श्री शंकरलाल मेनारिया शिक्षा : एम.ए. बी.एड़ प्रकाशन विवरण : कवि की राह (एकल संग्रह), अहसास एक पल (सांझा संग्रह), सहोदरी सोपान-2 (सांझा संग्रह), दीपशिखा (सांझा संग्रह), शब्द कलश (सांझा संग्रह), सम्मान का विवरण : ग़जल सागर द्वारा साहित्यकार सम्मान 12 अप्रेल 2015, भाषा सहोदरी हिन्दी द्वारा सम्मान 13 जुलाई 2015, ग्वालियर साहित्य कला परिषद द्वारा "शब्द कलश सम्मान", "दीपशिखा सम्मान", "साहित्य सरताज सम्मान" 03 जनवरी 2016 साहित्य सागर द्वारा युग सुरभि सम्मान 17 जुलाई 2016 जे.एम.डी. पब्लिकेशन द्वारा प्रतिभाशाली रचनाकार सम्मान 25 सितम्बर 2016 लेखन : स्वतंत्र लेखन, पत्र पत्रिकाओं में बाल कहानी, लेख एवं कविताओं का प्रकाशन, अंर्तजाल पर दैनिक रचनाऐं। अब तक 240 से अधिक रचनाऐं, 1 लेख, 3 कहानीयाँ एवं 3 यात्रा वृतान्त लिखे गये हैं। आकाशवाणी पर काव्य पाठ : आकाशवाणी उदयपुर केन्द्र से 8 अक्टुबर 2015 को काव्य पाठ प्रसारित हुआ। पत्र पत्रिका : उदयपुर से प्रकाशित हिन्दी मासिक पत्रिका ’’समुत्कर्ष " एवं ’’प्रत्युष ", सीकर से प्रकाशित पत्रिका ’’शिखर विजय", भोपाल से प्रकाशित ’’लोकजंग " में रचनाओं, कहानी एवं लेख का प्रकाशन। वेब पत्रिका : जय-विजय, मेरे अल्फाज़ में रचनाओं का प्रकाशन। काव्य गोष्ठी : युगधारा साहित्यिक मंच पर काव्य पाठ किया गया। गज़ल सागर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में काव्य पाठ किया गया 12 अप्रेल 2015, ग्वालियर साहित्य कला परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रम में काव्य पाठ किया गया 03 जनवरी 2016 मेरे बारे में:- मेरा जीवन परिचय:- मेरा जन्म 7 मार्च 1983 को राजस्थान के उदयपुर जिले में हूआ। मेरी शिक्षा झीलों की नगरी, उदयपुर में हूई। मैनें वर्ष 2008 में हिन्दी साहित्य विषय में स्नात्तकोत्तर परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्र्तीण की। उक्त समय से ही मेरा हिन्दी साहित्य की और अधिक रूझान बढ़ता गया। एवं 2011 में बी.एड. प्रथम श्रेणी मे किया। मैं एम.ए. बी.एड़ हूँ। वर्तमान में पिता के निजी विद्यालय बाल विनय मन्दिर, उ.मा.वि. उदयपुर में कम्प्यूटर प्रबन्धक एवं व.लि. पद पर कार्यरत हूँ। वर्तमान में उच्च शिक्षा की ओर अग्रसर एम.एड़ अध्ययनरत हूँ एवं निकट भविष्य में पी.एच.डी करना लक्ष्य निर्धारित है। मैनें वर्ष 2012 से कुछ पंक्तिया लिखना प्रारम्भ किया एवं वर्ष 2013 से रचनाऐं लिखी। जब रचनाओं का संकलन हुआ तब मन में एक आशा और विश्वास कायम हूआ और कवि की राह, अहसास एक पल (सांझा संग्रह), सहोदरी सोपान-2 (सांझा संग्रह), दीपशिखा (सांझा संग्रह) एवं शब्द कलश (सांझा संग्रह) के माध्यम से मेरी रचनाऐं आप तक पहूँच पायीं। हालांकि आज के दौर में लेखन कार्य कम ही लोग करते है मैं भी दैनिक समय में एक घंटा ही लेखन करता हूँ। आज इन्टरनेट का वर्चस्व है मैंने इन्टरनेट पर भी हिन्दी साहित्य को अपना केन्द्रबिन्दू रखा। फेसबुक पर कवियो को मित्र बना उनसे सीखा और मेरी रचनाओं पर जब प्रतिक्रिया आने लगी तो मैं अधिक से अधिक लिखता गया और आज इस मुकाम तक पहूँचा।

One thought on “जिन्दगी खामोश है, ठहर सी गई है …………………………………. 

  • विजय कुमार सिंघल

    यह कविता आपने ५ अगस्त को भी लगायी थी। कृपया नई रचना लगायें।

Comments are closed.