गीतिका/ग़ज़ल

गजल

कितना है दर्दनाक ये एहसास देखिए
सच्चाई जिसको समझे, है आभास देखिए

सबकी दलील सुन के पशेमां है वो बडा
सीधेपन का कैसा ये उपहास देखिए

इक एक कर के राह में ही रुक गए सभी
विश्वास ही रहा न रही आस देखिए

बच्चे को चाँद में भी है रोटी दिखाई दी
माँ का निराशापन भरा उच्छवास देखिए

मुझको अना से वास्ता तुमको गुरूर से
ये आम फर्क भी है बहुत खास देखिए

जिसकी ज़मानतें ली वही तो फरार है
तोडा यहाँ किसी ने है विश्वास देखिए

संजीदगी से जी रहे थे ज़िंदगी को हम
संजीदगी ही रह गई है पास देखिए

पूनम पाण्डेय

नाम - पूनम पाण्डेय शिक्षा - बी एस सी, बी एड हिंदी साहित्य (गद्य एवं काव्य दोनों) में गहरी रूचि अंतरजाल पर सक्रिय लेखन

2 thoughts on “गजल

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुंदर गजल !

    • पूनम पाण्डेय

      हार्दिक आभार सर

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