गीत/नवगीत

हां यही जिन्दगी है…

थोडे से हैं आंसू, थोडी सी हंसी है
हां यही जिन्दगी है।
तुम जो मुस्कुरादो, थोडा खिलखिलादो
बस यही हर खुशी है॥
थोडे से हैं आंसूं….

डूबा जो सूरज चांद उगेगा, धूप गई तो होगी चांदनी।
तू मेरे दिल में बस रहना, बनके मेरे दिल की रागनी॥
आयेगें तूफां तो, सहेगे उन्हें भी जिन्दगी नेमत बडी है….
थोडे से हैं आंसू, थोडी सी हंसी है
हां यही जिन्दगी है।…..

तू मेरे दिल की धडकन बन, मैं तेरे दिल में धडकूं।
तू मेरे अहसासों में बसना, मैं तेरे ख्वाबों में रहूं॥
होगें ना जुदा हम, एक दूजे से हम अपनी तो दुनियां यहीं हैं….
थोडे से हैं आंसू, थोडी सी हंसी है
हां यही जिन्दगी है……

आये पतझर, दौर हो गम के, लाख करे दुनियां रुसवा।
हाथ हाथ में रहे हमारा, कोई गिला ना कोई शिकवा॥
मौत करे तो भी होगें ना जुदा हम, सातों जनम की हां की है…
थोडे से हैं आंसू, थोडी सी हंसी है
हां यही जिन्दगी है…

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

4 thoughts on “हां यही जिन्दगी है…

  • shashisharma

    हाँ यही है जिंदगी,,,,, बहुत खूब…
    सुंदर रचना

    • सतीश बंसल

      शुक्रिया शशी जी…

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सुंदर रचना

    • सतीश बंसल

      बहुत शुक्रिया विभा जी…

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