गीत/नवगीत

समुन्दर की लहरों सी…

समुन्दर की लहरों सी, शोखी तुम्हारी
नदी जैसी अल्हड, मचलती जवानी।
रति छुप रही है, दरीचों के पीछे
हुई स्वर्ग की, अप्सरा पानी पानी॥

तेरा रूप देखे, पिघल जाये शम्मा
तुझे देख जल जल के जल जाये शम्मा।
झुकाने लगें है नजर ये नजारें
बहारे करें झूम कर ता ता थम्मा॥
सुनाती है हर सब, तुम्हारी कहानी….
हुई स्वर्ग की, अप्सरा पानी पानी….

रुकी सी हैं किरणे, तेरे रूप आगे
कलियों की शोखी भी,फीकी सी लागे।
हर एक पंखुडी, सर झुकाने लगी है
तुझे देख गुलशन के सौभाग्य जागे॥
शबनम ने खुद की छुपाली जवानी ….
हुई स्वर्ग की, अप्सरा पानी पानी…..

नजर भर इनायत, जहां भी करो तुम
ये बलखाते डग पग, जहां भी धरो तुम।
वही पर नजारो का, श्रृंगार उतरे
जहां पर भी नजरें ईनायत करो तुम॥
तेरे सामने हर ऋतु, आनी जानी……
हुई स्वर्ग की, अप्सरा पानी पानी…

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

3 thoughts on “समुन्दर की लहरों सी…

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह ! बहुत खूब !!

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सुंदर रचना

    • सतीश बंसल

      शुक्रिया विभा जी, विजय जी…

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