बाल कहानी

मित्रता में स्वार्थ कहाँ ?

रिंकी सात वर्ष की बहुत ही प्यारी बच्ची थी।लकिन थी बहुत चंचल व शैतान। स्वाभाव से थोड़ी स्वार्थी भी थी। हर रविवार को अपने पिताजी के साथ बाज़ार जाती और कोई न कोई नया खिलौना खरीद लाती। फिर वह जब बगीचे में खेलने जाती नया खिलौना ले जाती एवं किसी भी मित्र को छूने भी न देती। सभी मित्र उसके इस व्यवहार से बहुत दुखी होते। इस बार जब वह अपने पिताजी के साथ बाज़ार गयी तो एक सतरंगी बॉल खरीद लाई और अगले ही दिन एक टिफिन बॉक्स में चिप्स और हाथ में बॉल ले कर सही समय पर बगीचे में पहुँच गयी।

सभी मित्र उसकी सतरंगी बॉल देख कर बहुत खुश हो गये व उस बॉल से खेलना चाहते थे। लेकिन रिंकी आज अपना बॉल ले कर बगीचे में उनसे दूर बेन्च पर जा कर बैठ गयी। सभी मित्र उस से बार-बार बॉल माँगते किंतु वह नाक चढ़ा व कंधे उचका कर उन्हें बॉल छूने को मना कर देती। सभी मित्रहार कर अलग जा कर खेलने लग गये। अब वह अपना टिफिन बॉक्स खोल कर उसमें से चिप्स खाने लगी। वह बार -बार चटखारे लेती और उसके मित्रों के मुँह में चिप्स के लिए पानी आ जाता। वे उस से कहने लगे “ए रिंकी हमको भी एक-एक चिप्स दे ना” पर रिंकी तो उनकी बात को अनसुना कर चिप्स खाने में व्यस्त रही। और उस ने एक भी चिप्स अपने मित्रों को चखने को न दिया। सभी मित्रों को बहुत बुरा लगा।

सभी मित्रों ने उसे आगाह करते हुए कहा इस बार जब हम भी कुछ खाने को लाएँगे तो उसे न देंगे और अपने खिलौने भी उसे न देंगे और न ही हम तुम्हारे साथ में खेलेंगे। रिंकी ने उन सब की परवाह न करते हुए कहा कोई बात नहीं “आई डोंट केयर”। तभी उसकी एक सहेली पिंकी बोली तुम तो बैठ कर चिप्स खा रही हो तब तक तो हमें तुम्हारी बॉल से खेलने दो। रिंकी ने फिर से कंधे उचका कर उसे बॉल छूने के लिए भी मना कर दिया। सभी मित्र नाराज़ हो कर वहाँ से चले गये।

अब उन्होंने रिंकी को सबक सिखाने की ठान ली थी। उन्होंने एक योजना बनाई। सभी मित्र बगीचे से गायब हो गये और रिंकी को वहाँ अकेला छोड़ दिया। वे सब पास के दूसरे बगीचे में खेलने लगे। थोड़ी देर तो रिंकी अपने चिप्स खाने में व्यस्त रही किंतु अकेले चिप्स खाते-खाते वह बोर हो गयी। उसने अपना टिफिन बॉक्स बंद कर बॉल से खेलना शुरू किया। वह बॉल को इधर-उधर फेंकती लकिन सामने बॉल को केच करने वाला कोई न था। खुद अकेले ही बॉल के पीछे भागती और ले कर आती। इस बार उसने बॉल को ज़ोर से किक मारी और बॉल पास वाली झाड़ियों में जा गिरी। वह बॉल को ढूँढने लगी, तभी झाड़ियों में से एक डरावना गिरगिट बाहर निकला। रिंकी ज़ोर से चीखी और वहाँ से भागी।

उसे लगा वह गिरगिट उसका पीछा कर रहा है ,वह और तेज भागी और गिर गयी। वह उठ कर फिर से भागी उसके घुटने में चोट लग गयी और खून बहने लगा। भागते भागते वह अपने सभी मित्रों को आवाज़ लगा रही थी राजू, मिन्ना, पिंकी, गोपी तुम सब कहाँ हो ?मेरी मदद करो मेरी मदद करो। लेकिन किसी ने उसकी आवाज़ न सुनी। वह भाग कर फिर से बेंच पर जा कर बैठ गयी और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी। उसके रोने की आवाज़ सुन कर उसके सभी मित्र दौड़ कर वहाँ आ गये और पूछा क्या हुआ ? पिंकी ने पानी से उसका बहता हुआ खून साफ किया और गोपी पड़ोस से उसकी माँ को बुला लाया।

रिंकी ने सारी बात अपने मित्रों को बताई और उनसे माफी माँगी। वह बोली “आई एम सॉरी, अब मैं मेरे खिलौने व खाने-पीने की चीज़ें सब से शेयर करूँगी और तुम सब से मिल कर खेलूँगी” मुझे इस बार माफ़ कर दो। मैं तुम सबके साथ खेलना चाहती हूँ। मैं समझ गयी हूँ मित्रों के बिना कुछ मज़ा नहीं है न खाने का न खेलने का। मित्र तो सबसे अच्छे साथी होते हैं। सभी मित्र उसे माफ़ कर के झाड़ियों में उसकी बॉल ढूँढने लगे और बॉल मिल गयी। एक मित्र ने दूसरे को केच दिया, दूसरे ने तीसरे को। बगीचे में फिर से हँसी-खुशी का माहौल छा गया। रिंकी अब दोस्ती का असली मतलब समझ गयी थी।

— रोचिका शर्मा, चेन्नई

रोचिका शर्मा

परिचय नाम : रोचिका शर्मा (खांडल) जन्मतिथि: 14/05/72 जन्मस्थान: बृंदावन (उ. प्र.) शिक्षा: एलेक्ट्रिकल इंजिनियरिंग, DNIIT टेलिमॅटिक्स इंडस्ट्री में सात वर्ष इंजिनियर के पद पर कार्यरत रही वर्तमान : डाइरेक्टर सूपर गॅन ट्रेडर अकॅडमी प्राइवेट लिमिटेड ( Director Super Gann Trader Academy ) www.tradingsecret.com प्रकाशन: कविताएँ, आलेख, कहानी , ग़ज़ल , बाल कविताएँ एवं कहानियाँ 1. दैनिक भास्कर समाचार पत्र ग्रुप की पत्रिका " अहा ज़िंदगी " 2. गृहशोभा हिन्दी पत्रिका ( दिल्ली प्रेस) 3. सरिता हिंदी पत्रिका ( दिल्ली प्रेस) 4. ट्रू मीडीया 5. अंजुम मॅगज़ीन 6. राजस्थान पत्रिका समाचार पत्र 7. हमारा मेट्रो समाचार पत्र 8. दैनिक समाचार पत्र “लोकजंग” 9. जयपुर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र "नॅशनल दुनिया " 10. हस्ताक्षर वेब मॅगज़ीन 11. हिन्दी मासिक पत्रिका "हितेषी" 12. काव्यकोष 13. राष्ट्रीय बाल मासिक "बच्चों का देश " 14. अंतरराष्ट्रीय मासिक ई पत्रिका "जनकृति" 15. आज़ाद विचार मासिक पत्रिका 16. मेडिटेक पत्रिका 17. अटूट बंधन ब्लॉग 18. राजधानी दिल्ली से प्रकाशित राष्ट्रीय मासिक पत्रिका "ललकार टुडे" 19. मुम्बई से प्रकाशित मासिक पत्रिका "जय-विजय" 20. भोपाल से प्रकाशित मासिक पत्रिका "देखो भोपाल" 21. सीकर से प्रकाशित " शिखर विजय " 22. दिल्ली से प्रकाशित साप्ताहिक समाचार पत्र "हमारा पूर्वांचल " 23. जयपुर से प्रकाशित पत्रिका "कृषि गोल्ड्लाइन" 24. रावतसर , राजस्थान से प्रकाशित साप्ताहिक समाचार पत्र "प्रभात केसरी " 25. वेबदुनिया 26. झाँसी से प्रकाशित " ग्रामोदय विजन " 27. भारत सरकार द्वारा प्रकाशित पत्रिका “समाज कल्याण ” 28. भोपाल से प्रकाशित मध्य प्रदेश जनसंदेश “शब्द रंग “ सम्मान: काव्यकोष में फ़रवरी माह का " सर्वश्रेष्ठ कवि" चेन्नई स्थित " बाबा जी विद्याश्रम " में हिन्दी दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में सम्मानित हुई एवं दहेज प्रथा पर आधारित वाद-विवाद प्रतियोगिता में निर्णायक मंडल में शामिल हुई तथा विद्यार्थियों को दहेज प्रथा की बुराइयाँ समझाते हुए कन्या भ्रूण हत्या की जानकारी से अवगत किया कविता पाठ : शहीद सुभाष शर्मा श्रद्धांजलि कार्यक्रम में कविता पाठ पता : Rochika Sharma F - 206 Ceebros Belvedere Model School Road Kumarsamy Nagar Opposite Nilgiris Shollingnallore Chennai -600119 ई- मेल: happyrochika@gmail.com फोन : 9597172444

2 thoughts on “मित्रता में स्वार्थ कहाँ ?

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी शिक्षाप्रद कहानी !

  • वैभव दुबे "विशेष"

    प्रेणादायक कहानी..
    बहुत खूब रोचिका जी

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