गीत/नवगीत

तुमको हर घडी…

तुमको हर घडी, यूं ढूढता हूं मैं..
जैसे जिन्दगी हो तुम मेरी
तुमको हर घडी, यूं ढूंढता हूं मैं..
जैसे बंदगी हो तुम मेरी…

बिना तेरे यारा मेरे, मुझको एक पल भी चैन आऐ ना।
देखूं ना तुझे यो एक पल भी, दिल मेरा चैन पाये ना॥
ऐसे लगता है मुझे, जैसे हर खुशी हो तुम मेरी….

यूं समा गये हो मेरे दिल में, जैसे ये धडकन।
छाने लगे हो जिन्दगी में, बन के तुम सरगम॥
ऐसा लगता है, अब सांस भी हो तुम मेरी….

मन मेरा कहता है, तुमको सजदे करूं।
रोज पूजूं तुम्हें, तुमको तुमपे जीऊं मरू॥
तुम ही जीवन हो, आस भी हो तुम मेरी…
तुमको हर घडी, यूं ढूंढता हूं मैं..
जैसे बंदगी हो तुम मेरी…

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

2 thoughts on “तुमको हर घडी…

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह !!

    • सतीश बंसल

      शुक्रिया विजय जी..

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