कविता

कविता

मधुर भावना ,
भावुक मन की ,
गिरती उठती,
चलती रुकती
प्रीत हृदय में,
कभी न छिपती ।।1।।

अब कुछ कहूं ,
कैसे चुप रहूं,
अन्तर मन का
भेद कैसे कहूं
प्रीत भरी पाती ,
कैसे अब पढ़ूं।।2।।

मेरे जीवन की ,
कम्पित मन की,
धुंधले दर्पण की ,
धूमिल सी छवि ,
टूटती सांस है,
मिलने की आस है ।। 3।।

मीठी सी महक,
पंछी की चहक,
धरती गगन ,
झूमते मगन ,
मेघों की ओट में,
चमकी किरण ।। 4।।

लता यादव

लता यादव

अपने बारे में बताने लायक एसा कुछ भी नहीं । मध्यम वर्गीय परिवार में जनमी, बड़ी संतान, आकांक्षाओ का केंद्र बिन्दु । माता-पिता के दुर्घटना ग्रस्त होने के कारण उपचार, गृहकार्य एवं अपनी व दो भाइयों वएकबहन की पढ़ाई । बूढ़े दादाजी हम सबके रखवाले थे माता पिता दादाजी स्वयं काफी पढ़े लिखे थे, अतः घरमें पढ़़ाई का वातावरण था । मैंने विषम परिस्थितियों के बीच M.A.,B.Sc,L.T.किया लेखन का शौक पूरा न हो सका अब पति के देहावसान के बाद पुनः लिखना प्रारम्भ किया है । बस यही मेरी कहानी है

One thought on “कविता

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    अति सुंदर

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