कुण्डली/छंद

खालीहांड़ी देख कर

मेरी पहली कुंडलिया :-

खालीहांड़ी देख कर, बालक हुआ उदास।
फिर भी माँ से कह रहा, भूख लगी ना प्यास।।
भूख लगी ना प्यास, कह रहा सुन री माता।
होती मुझको भूख, माँग खुद भोजन खाता।।
कहे ‘अमन’ कविराय, न बालक है पाखंडी।
घर की स्थिति है ज्ञात, सामने खालीहांडी।।

– अमन चाँदपुरी (23 सितम्बर 2015)

अमन चांदपुरी

परिचय – मूल नाम- अमन सिंह जन्मतिथि- 25 नवम्बर 1997 पिता – श्री सुनील कुमार सिंह माता - श्रीमती चंद्रकला सिंह शिक्षा – स्नातक लेखन विधाएँ– दोहा, ग़ज़ल, हाइकु, क्षणिका, मुक्तक, कुंडलिया, समीक्षा, लघुकथा एवं मुक्त छंद कविताएँ आदि प्रकाशित पुस्तकें – ‘कारवान-ए-ग़ज़ल ‘ 'दोहा कलश' एवं ‘स्वर धारा‘ (सभी साझा संकलन) सम्पादन – ‘ दोहा दर्पण ‘ प्रकाशन – विभिन्न राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं तथा वेब पर सैकड़ों रचनाएँ प्रकाशित सम्मान – प्रतिभा मंच फाउंडेशन द्वारा ‘काव्य रत्न सम्मान‘, समय साहित्य सम्मेलन, पुनसिया (बांका, बिहार) द्वारा 'कबीर कुल कलाधर' सम्मान, साहित्य शारदा मंच (उत्तराखंड) द्वारा ‘दोहा शिरोमणि' की उपाधि, कामायनी संस्था (भागलपुर, बिहार) द्वारा 'कुंडलिया शिरोमणि' की मानद उपाधि, उन्मुख साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था द्वारा 'ओमका देवी सम्मान' एवं तुलसी शोध संस्थान, लखनऊ द्वारा 'संत तुलसी सम्मान' से सम्मानित विशेष - फोटोग्राफी में रुचि। विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं तथा वेब पर फोटोग्राफस प्रकाशित पता – ग्राम व पोस्ट- चाँदपुर तहसील- टांडा, जिला- अम्बेडकर नगर (उ.प्र.)- 224230 संपर्क – 09721869421 ई-मेल – kaviamanchandpuri@gmail.com

2 thoughts on “खालीहांड़ी देख कर

  • कल्पना रामानी

    बहुत सुंदर, सधे हुए शिल्प में उत्कृष्ट कुण्डलिया! बधाई अमन, हांडी को हाँडी या हंडी करना बेहतर रहेगा

  • महातम मिश्र

    बहुत खूब अमन जी, १३-११, १३-११, ११-१३,११-१३,११-१३, ११-१३, दोहा में प्रथम और तीसरी यति गुरू की होती है तथा दूसरी और चौथी यति लघु की होती है और इसका ठीक उल्टा रोला होता है , उत्तम प्रयास मान्यवर

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